नई दिल्ली, 28 मार्च: एयर इंडिया में विनिवेश को लेकर सरकार ने बुधवार को फैसला लिया है। इस मामले में सरकार ने कहा कि एअर इंडिया के विनिवेश के लिए बोली लगेगी। उन्होंने आगे बताया कि सरकार ने बतौर अर्नेस्ट एंड यंग को ट्रांजैक्शन एडवायजर भी नियुक्त किया है। इसके साथ ही सरकार एअर इंडिया में अपनी 76 प्रतिशत हिस्सेदारी पर इसे बेचेगी। वहीं दूसरी तरफ इस ममाले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आपत्ति जताई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एयर इंडिया की नीलामी पर सब्सिडरी का 50 प्रतिशत AISAT और AIXL की हिस्सेदारी शामिल होगी। इसके साथ ही नीलामी में हिस्सा लेने वाले को 28 मई तक समय दिया जाएगा।
ममता बनर्जी ट्वीट किया, 'मुझे मीडिया से जानकारी मिली कि सरकार एयर इंडिया में हिस्सेदारी में बेंच रही है। उन्होंने आगे कहा 'ये हमारे देश का गहने की तरह रहा है। हम इसकी कड़ी निंदा और विरोध करते हैं। इसके साथ ही हम इस फैसले को जल्द से जल्द वापस लेने की मांग भी करते हैं। सरकार को हमारा देश बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। '
केंद्र सरकार की योजना है कि राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया की साल 2018 के अंत तक विनिवेश की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा के मुताबिक, एयर इंडिया समूह को चार अलग-अलग संस्थाओं में विभाजित किया जाएगा और इस संबंध में 'सूचना ज्ञापन' जल्द ही जारी किया जाएगा।
आम बजट 2018-19 पेश होने के एक दिन बाद सिन्हा ने कहा कि सरकार की योजना जून (2018) तक बोलीदाताओं का चयन करने की है और दिसंबर तक चार अलग-अलग निकाय बना कर इसका विनिवेश कर दिया जाएगा।
इसके अलावा, सिन्हा ने बताया कि एयर इंडिया को खरीदने में एक विदेशी एयरलाइन ने रुचि दिखाई है।
बजट का दर्शन समग्र राष्ट्रीय हित : जेटलीबजट 2018-19 में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मध्य वर्ग और कॉरपोरेटर सेक्टर को राहत नहीं देने को लेकर हो रही आलोचना के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि उनका बजट वास्तव में समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है, जिसमें सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा गया है। जेटली ने 2019 के आम चुनाव से पहले अपने आखिरी पूर्ण बजट को गुरुवार को संसद में पेश किया।
जेटली ने कहा कि क्या तनावग्रस्त कृषि क्षेत्र पर ध्यान देना भारत के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या ग्रामीण मांग में इजाफा होने से उद्योगों को बढ़ावा नहीं मिलेगा, जो फिलहाल कर्ज के भारी बोझ से जूझ रहे हैं, जबकि बैंक अपने फंसे हुए कर्ज से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा, "क्या कृषि क्षेत्र पर जोर देने तथा जीर्ण अवसरंचना को सुधारना राष्ट्रहित में नहीं है। कृषि क्षेत्र पिछले सात-साठ सालों से काफी अधिक तनावग्रस्त है।
कृषि क्षेत्र का तनाव 'वास्तविक' है। बजट के पीछे का दर्शन यह है कि यहां 'अर्थव्यवस्था के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां बड़े पैमाने पर सरकारी समर्थन की जरूरत है।' हालांकि सेवा क्षेत्र बढ़िया कर रहा है तथा पिछली दो तिमाहियों में विनिर्माण क्षेत्र ने भी रफ्तार पकड़ी है।"
खरीफ की फसल के लिए बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर लागत का डेढ़ गुणा कर दिया गया है, साथ ही संस्थागत कृषि ऋण को वित्त वर्ष 2018-19 में 8. 5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
खाद्य पदार्थो, उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पादों पर पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 15 फीसदी अधिक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जो 2.64 लाख करोड़ रुपये है।
बजट में सबसे अधिक जोर आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना पर दिया गया, जिसका लक्ष्य 50 करोड़ गरीब लोगों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। आयुष्मान योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का बीमा दिया जाएगा, जबकि बजट में इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।