केंद्र को विशेष स्कूलों के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात के मानदंडों को तत्काल अधिसूचित करना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: October 28, 2021 19:26 IST2021-10-28T19:26:07+5:302021-10-28T19:26:07+5:30

Center should immediately notify teacher-student ratio norms for special schools: Supreme Court | केंद्र को विशेष स्कूलों के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात के मानदंडों को तत्काल अधिसूचित करना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

केंद्र को विशेष स्कूलों के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात के मानदंडों को तत्काल अधिसूचित करना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केन्द्र से कहा कि उसे विशेष स्कूलों में छात्र और शिक्षकों के अनुपात के मानक तत्काल अधिसूचित करने चाहिए। इस तरह के बच्चों के लिए विशेष शिक्षकों के लिए अलग से मानक होने चाहिए क्योंकि ये शिक्षक ही देश में सामान्य स्कूलों में पढ़ने वाले विशेष जरूरत वाले बच्चों को शिक्षा और प्रशिक्षण दे सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब तक सक्षम प्राधिकारी इस पर एक व्यापक कार्य योजना तैयार नहीं करते है, तब तक "अंतरिम व्यवस्था" के रूप में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली द्वारा 2019 में की गई सिफारिशों को अपनाया जाना चाहिए।

वर्ष 2019 में की गई सिफारिशों में कहा गया है कि एक विशेष दिव्यांगता में विशेष शिक्षा शिक्षकों की संख्या ‘सेरेब्रल पाल्सी’ से ग्रस्त बच्चों के लिए आमतौर पर स्वीकृत छात्र-शिक्षक अनुपात 8: 1 के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए।

सेरेब्रल पाल्सी एक ‘न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर’ होता है जो बच्चों की शारीरिक गति, चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करता है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने बी.एड (विशेष) और डी.एड (विशेष) डिग्री या डिप्लोमाधारक शिक्षकों और विशेष जरूरत वाले बच्चों की आवश्यकताओं के प्रति पूरी तरह से प्रशिक्षित शिक्षकों की समस्याओं को लेकर दायर याचिकाओं पर यह आदेश दिया।

पीठ ने 100 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा, ‘‘केन्द्र सरकार को विशेष स्कूलों के लिए छात्र शिक्षक अनुपात के मानकों और विशेष शिक्षकों, जो इस तरह के बच्चों को शिक्षा और प्रशिक्षण देने में समक्ष हैं, के लिए अलग से मानदंड अधिसूचित करना चाहिए, और इस दौरान अंतरिम व्यवस्था के रूप में इस मामले में दिल्ली के राज्य आयुक्त की सिफारिशों को अपनाना चाहिए।’’

मामले में अधिवक्ता शोएब आलम ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया ।

पीठ ने कहा कि नियमित आधार पर नियुक्त किए जाने वाले पुनर्वास पेशेवरों / विशेष शिक्षकों के लिए इस प्रकार सृजित पदों के लिए रिक्तियों को भरने की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए और इसे आज से छह महीने के भीतर या शैक्षणिक वर्ष 2022-2023 के शुरू होने से पहले पूरा किया जाए।

पीठ ने कहा कि पुनर्वास पेशेवरों / विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए, प्रशिक्षण स्कूलों या संस्थानों को संख्या बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

न्यायालय ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 79 के तहत नियुक्त राज्य आयुक्तों को निर्देश दिया कि वे अनुपालन के संबंध में स्वत: जांच शुरू करें और फिर उपयुक्त प्राधिकारी को सिफारिश करें, जो आवश्यक हो।

पीठ ने कहा कि राज्य आयुक्त फरवरी, 2022 के अंत तक अनुपालन के संबंध में अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं।

इसके साथ ही पीठने स्पष्ट किया कि न्यायालय विशेष शिक्षकों की काम करने की स्थिति पर फैसला नहीं कर रही है।

न्यायालय ने राज्य आयुक्तों से प्राप्त होने वाली रिपोर्टों पर विचार करने के लिए मार्च 2022 के पहले सप्ताह में मामले को सूचीबद्ध किया।

पीठ ने मामले में दिव्यांगजन अधिकारिता विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव और शिक्षा मंत्रालय के सचिव को भी नोटिस जारी किये।

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