बिहार चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक?, सीएम नीतीश की तरह पीएम मोदी कराएंगे जाति जनगणना?, जानें समीकरण
By एस पी सिन्हा | Updated: April 30, 2025 19:33 IST2025-04-30T18:58:42+5:302025-04-30T19:33:59+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी का संपूर्ण जदयू परिवार की ओर से कोटिश: आभार एवं अभिनंदन।

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पटनाः केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वारा बुधवार को देश में जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने का फैसला लेने पर जदयू ने स्वागत किया है। पार्टी के कार्यकारी संजय कुमार झा ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री को धन्यवाद दिया है। उन्होंने लिखा है कि इससे अब वंचित तबकों को नई उम्मीद मिली है। उन्होंने कहा कि 2011 में जो गणना कराए गए, वह सही नहीं थे, अब सही तरीके से गणना की जाएगी। इस दौरान उन्होंने बिहार में हुए जातीय गणना का भी जिक्र किया है। देशभर में आगामी जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने के ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी का संपूर्ण जदयू परिवार की ओर से कोटिश: आभार एवं अभिनंदन।
उन्होंने आगे लिखा है कि हमें विश्वास है, इस फैसले से वंचित तबकों के कल्याण एवं उत्थान के लिए और अधिक कारगर योजना बनाने में मदद मिलेगी। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने ‘न्याय के साथ विकास’ की अपनी नीति के अनुरूप, देश में सबसे पहले बिहार में पूरी पारदर्शिता के साथ जातीय गणना करा कर उसका परिणाम भी सार्वजनिक कर दिया है।
उनका स्पष्ट मानना है कि सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करने और लक्षित तबकों के कल्याण के लिए सटीक योजना बनाने के उद्देश्य से विभिन्न जातियों का सटीक आंकड़ा होना जरूरी है। इतिहास गवाह है कि भारत में आजादी से पहले हुई जनगणना में जातिवार आंकड़े भी दर्ज किए गए थे। लेकिन, वर्ष 1951 में कांग्रेस की सरकार ने इसे बंद करवा दिया था।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विपक्ष के कई नेता जिसमें तेजस्वी यादव भी शामिल थे, उन लोगों ने पीएम मोदी से पूरे देश में जातीय जनगणना कराने की मांग की थी। वहीं, इसके बाद बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार ने जातीय जनगणना कराया।
हालांकि, अब बिहार में एनडीए की सरकार है और नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री हैं। बता दें कि भारत में आखिरी बार जाति जनगणना अंग्रेजों के जमाने में हुई थी। साल 1911 में पहली बार देश की जातीय जनगणना अंग्रेजों ने कराई थी। हालांकि, इसको सार्वजनिक नहीं किया गया था। वहीं, दूसरी बार पूरे भारत में जातीय जनगणना 1931 में हुई थी।
अब 94 साल बाद पूरे देश में एक साथ जाति जनगणना कराई जाएगी। सबसे अहम बात ये कि आजाद भारत में पहली बार केंद्र सरकार जाति जनगणना करवाएगी। जानकारों का कहना है कि सामाजिक रूप से वंचित तबकों की सटीक पहचान करने और उनके लिए अधिक कारगर योजना बनाने की राह में जातिगत आंकड़ों की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा बन रही थी।
विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक समूहों द्वारा की जा रही मांग के मद्देनजर यूपीए सरकार ने 2011 की जनगणना में जातियों का सर्वे कराने का फैसला किया, लेकिन, उन आंकड़ों में इतनी ज्यादा विसंगतियां थीं, कि उसे सार्वजनिक तक नहीं किया गया।
अब एनडीए सरकार द्वारा पूरे देश में सटीक जातीय गणना कराने का ऐतिहासिक फैसला वंचित तबकों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जिसके सुखद परिणाम आने वाले वर्षों में दिखेंगे। इससे पहले सामान्य वर्ग के गरीबों को संविधान संशोधन के जरिये 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला भी एनडीए सरकार ने ही किया था, जिसकी कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार उपेक्षा की गई थी।