सीएजी रिपोर्ट से खुलासाः मोदी सरकार में भी हुआ है "2G स्पेक्ट्रम जैसा घोटाला", 560 करोड़ की लगी चपत?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 10, 2019 11:29 AM2019-01-10T11:29:18+5:302019-01-10T11:33:53+5:30

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 में स्‍पेक्ट्रम पाने के लिए दूरसंचार मंत्रालय में कुल 101 कंपनियों ने आवेदन किया था।

CAG report: "The scam like 2G spectrum" has happened in the Modi government? | सीएजी रिपोर्ट से खुलासाः मोदी सरकार में भी हुआ है "2G स्पेक्ट्रम जैसा घोटाला", 560 करोड़ की लगी चपत?

फाइल फोटो

Highlightsऐसा माना जाता है कि अगर स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया के अनुसार बांटा गया होता तो इसकी कीमत किसी एक कंपनी के द्वारा दी गई राशि की तुलना में ज्यादा होता।साल 2012 में उजागर हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में इसी नीति के तहत मनमोहन सरकार के दौरान साल 2008-09 स्पेक्ट्रम बांटे गए थे।

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिससे जाहिर होता है कि नरेंद्र मोदी सरकार में स्पेक्ट्रम बांटने में गड़बड़ी हुई है। इससे देश को करीब 560 करोड़ रुपये की चंपत लगी है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 के दिसंबर महीने में दूरसंचार मंत्रालय ने एक टेलीफोन कंपनी को पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर स्पेक्ट्रम अधिकार दे दिए।

उल्लेखनीय है कि साल 2012 में उजागर हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में इसी नीति के तहत मनमोहन सरकार के दौरान साल 2008-09 स्पेक्ट्रम बांटे गए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस नीति को रद्द कर दिया था। स्पेक्ट्रम बांटने के लिए सरकार को खुले बाजार में नीलामी करनी होती है।

खुद दूरसंचार मंत्रालय ने इसके लिए एक समिति गठित की थी। इस समिति ने स्पेक्ट्रम की नीलामी की सिफारिश की थी। लेकिन सीएजी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि स्पेक्ट्रम के बंटवारे में गड़बड़ी हुई है।

101 कंपनियों ने किया था आवेदन, लेकिन स्पेक्ट्रम मिला बस एक को

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 में स्‍पेक्ट्रम पाने के लिए दूरसंचार मंत्रालय में कुल 101 कंपनियों ने आवेदन किया था। ऐसे में सरकार को स्पेक्ट्रम की खुली नीलामी करानी चाहिए थी। लेकिन दूरसंचार मंत्रालय ने इसकी अनदेखी की।

ऐसा माना जाता है कि अगर स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया के अनुसार बांटा गया होता तो इसकी कीमत किसी एक कंपनी के द्वारा दी गई राशि की तुलना में ज्यादा होता। ऐसे में किसी एक कंपनी को दिए जाने की वजह से देश को राजकोषीय घाटा होगा। इसमें अनुमान लगाया गया है कि करीब 560 करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ है।

संसद पेश हुई कैग की रिपोर्ट

सीएजी की रिपोर्ट को संसद के शीतकालीन सत्र में 8 जनवरी को पेश किया गया। इसमें सदन को मामले की विस्तृत रिपोर्ट है। उल्लेखनीय है कि मनमोहन सरकार के समय 2जी स्पेक्ट्रम आंवटन में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए थे। इसके चलते सरकार के राजकोष को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ था।

Web Title: CAG report: "The scam like 2G spectrum" has happened in the Modi government?

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