NRC पर मोदी सरकार पड़ सकती है नरम, बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा- अभी NRC पर बात करना ठीक नहीं
By पल्लवी कुमारी | Published: December 21, 2019 10:03 AM2019-12-21T10:03:46+5:302019-12-21T10:03:46+5:30
CAA-NRC Protests: कुछ दिन पहले ही कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी एनआरसी का विरोध कर चुके हैं।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में जमकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। सैकड़ों लोग हिरासत में लिए गए हैं और तकरीबन आधे दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। देश के मौजूदा हालात को देखते हुए जिस तरह से मोदी सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, बीजेपी महासचिव राम माधव और एनडीए समर्थित पार्टी जेडीयू के चीफ नीतीश कुमार व लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान का बयान आया है, उसके बाद ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार एनआरसी पर नरम पड़ सकती है। या फिर उसको देश में लागू करने के बारे में फिर से विचार कर सकती है। हालांकि इसपर सरकार की ओर से कोई अधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा- सरकार के पास अभी देश के किसी अन्य हिस्से में एनआरसी के लिए कोई योजना नहीं
संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार( 20 दिसंबर) को कहा कि सरकार के पास अभी देश के किसी अन्य हिस्से में एनआरसी के लिए कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि एनआरसी के नाम पर अराजकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। नकवी ने कहा कि 1951 में असम में शुरू एनआरसी प्रक्रिया मात्र असम तक सीमित है जो अभी ख़त्म नहीं हुई है। सूची में जिनका नाम नहीं आया है वे पंचाट में और उसके बाद अदालतों में अपील कर सकते हैं। सरकार भी उनकी मदद कर रही है। लोगों से शांति, सौहार्द बनाये रखने की अपील करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि देश में एकता एवं सौहार्द की ताकत ही हमें दुनिया में सम्मान दिलाती है। इस ताकत के ताने-बाने को किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने देना है।
नागरिकता कानून पर उन्होंने कहा हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक तरक्की के बराबर के हिस्सेदार-भागीदार हैं और यह कानून नागरिकता देने के लिये है, छीनने के लिये नहीं, ऐसे में सभी को दुष्प्रचार से होशियार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक तरक्की के बराबर के हिस्सेदार-भागीदार हैं। एनआरसी और संशोधित नागरिकता कानून को जोड़ कर देश को गुमराह करने के षड़यंत्र को परास्त करना है।
एनआरसी को लागू करना का हमारा अभी कोई विचार नहीं है, ये 2021 में देखा जाएगा: बीजेपी महासचिव राम माधव
बीजेपी महासचिव राम माधव ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा है कि नागरिकता (संशोधन) कानून किसी भी नागरिक के हितों के खिलाफ नहीं है और एनआरसी के बारे में अभी बात करना ठीक नहीं है। एनआरसी पर अभी बात करना समय से पहले होगा।
राम माधव ने कहा, अभी हमारा पूरा फोकस नागरिकता (संशोधन) कानून पर है। एनआरसी पर गृह मंत्री 2021 में घोषणा करेंगे। हमारे पास एनआरसी को लेकर अभी कोई ज्यादा जानकारी नहीं है। ये एनआरसी पर समय से पहले बात करने जैसा है।
''काहे का एनआरसी? बिलकुल लागू नहीं होगा।''- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को घोषणा की कि प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) राज्य में लागू नहीं होगा। राजग (NDA) में शामिल दलों में से जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एनआरसी को अखिल भारतीय स्तर पर लागू करने के खिलाफ आवाज उठाई है। नये संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में प्रदर्शनों के बीच नीतीश ने अपनी पार्टी का रुख साफ किया और इस बारे में पत्रकारों के सवालों का सीधा जवाब दिया। पटना में भारतीय सड़क कांग्रेस के 80वें वार्षिक अधिवेशन से इतर मीडियाकर्मियों ने जब एनआरसी पर सवाल पूछा, ''काहे का एनआरसी? बिलकुल लागू नहीं होगा।''
इसके बाद इस विवादास्पद फैसले का विरोध करने वाले वह सत्तारूढ़ राजग के पहले प्रमुख सहयोगी बन गये हैं। कई गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पहले ही इसका विरोध कर रहे हैं। जदयू नेता ने एनआरसी लागू करने के खिलाफ आवाज उठाई तो केंद्र सरकार ने भी इस व्यापक कवायद को लेकर आशंकाओं को खारिज करने का प्रयास किया।
केंद्र सरकार समाज के एक बड़े वर्ग के बीच भ्रम को दूर करने में नाकाम रही है: चिराग पासवान
बीजेपी की एक और सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने भी एनआरसी पर विरोध का संकेत देते हुए नागरिकता कानून पर केंद्र सरकार से दूरी बनाने का प्रयास किया। लोजपा ने कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन बताते हैं कि केंद्र सरकार समाज के एक बड़े वर्ग के बीच भ्रम को दूर करने में नाकाम रही है। संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने वाली लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि देश के अनेक हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग एनआरसी को संशोधित कानून के साथ जोड़कर देख रहे हैं।
चिराग पासवान ने 6 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र को ट्वीट करके मांग की कि संसद में पेश किए जाने से पहले CAB पर चर्चा के लिए NDA की बैठक बुलाई जाए। उनके पिता, रामविलास पासवान, नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं।
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी एनआरसी का विरोध कर चुके हैं।
पूरे देश में एनआरसी लागू करने की संभावना के सवाल पर गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि इस पर विचार-विमर्श नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ''हम लोगों से यह अपील भी करते हैं कि नागरिकता संशोधन अधिनियम की तुलना असम में एनआरसी से नहीं की जाए क्योंकि असम के लिए कट ऑफ अलग है।''
गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि जिस किसी का जन्म भारत में एक जुलाई, 1987 से पहले हुआ हो या जिनके माता-पिता का जन्म उस तारीख से पहले हुआ हो, वे कानून के अनुसार भारत के वास्तविक नागरिक हैं और उन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम या संभावित एनआरसी से चिंता करने की जरूरत नहीं है।