CAA Protest: यूपी से पीछे छूटे सभी राज्य! नुकसान की भरपाई के लिए योगी सरकार इतनी सख्त क्यों है इस बार?
By विनीत कुमार | Published: December 31, 2019 09:49 AM2019-12-31T09:49:57+5:302019-12-31T09:50:44+5:30
इस घटना से पूर्व के यूपी सहित छह राज्यों में प्रदर्शन और उसके बाद प्रशासन की ओर से उठाए गये कदम के विश्लेषण से पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए जो कदम उठाए वो सबसे अलग और अभूतपूर्व है।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) सहित एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक 372 लोगों (पहचान किए गये 478 में से) को नोटिस भेजे हैं। यूपी सरकार ने इस कदम को सही ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की 2007 की अनुशंसाओं और 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को आधार बनाया।
हालांकि, इससे पूर्व के यूपी सहित छह राज्यों में प्रदर्शन और उसके बाद प्रशासन की ओर से उठाए गये कदम के विश्लेषण से पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए जो कदम उठाए वो सबसे अलग और अभूतपूर्व है। एक तरह से यूपी सरकार ने जो कदम उठाये हैं, वो इससे पहले हाल के कुछ वर्षों में किसी राज्य सरकार की ओर से नहीं उठाए गए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने माना, 'ये पहली बार है जब हम पहचान किये गये दंगाइयों से भरपाई के लिए उन्हें नोटिस भेज रहे हैं।' अखबार ने पिछले चार साल में यूपी सहित महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में हुए प्रदर्शन का जाजया लिया है। इसमें दिल्ली छोड़ सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार रही।
- रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2017 में पंचकुला सहित सिरसा और हरियाण-पंजाब के कुछ अन्य इलाकों में डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम के समर्थकों द्वारा बड़े पैमाने पर हिंसा की गई। राम रहीम के खिलाफ एक रेप केस में आए फैसले के बाद ये हिंसा फैली। इसमें 40 लोगों की मौत हुई और बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्तियों का नुकसान हुआ। इस घटना के बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया और हिंसा करने वालों से नुकसान की भरपाई कराने को कहा। कोर्ट के आदेश पर राज्य प्रशासन ने सिरसा में डेरा सच्चा सौदा की संपत्ति को अटैच किया।
- ऐसे ही मध्य प्रदेश के मंदसौर में जून 2017 में हिंसा हुई। इसमें 6 किसान मारे गये। वहीं, 2019 के अप्रैल में भी सुप्रीम कोर्ट के एससी/एसटी एक्ट पर फैसले को लेकर दलित संगठनों की ओर से देश भर में प्रदर्शन किया गया। इन दोनों ही मामलों में नुकसान की भरपाई की कोशिश प्रदर्शन करने वालों से करने की कोशिश नहीं की गई।
- पुणे के करीब भीमा-कोरेगांव से शुरू हुई हिंसा जनवरी, 2018 में महाराष्ट्र में खूब चर्चा में रही। इस प्रदर्शन के दौरान 16 साल के एक लड़के योगेश प्रहलाद जाधव की भी मौत हुई। इस दौरान भी पुणे प्रशासन की ओर से कोई नोटिस नुकसान की भरपाई के लिए नहीं भेजा गया।
- ऐसे ही 2017 और साल 2018 की शुरुआत में 'पद्मावत' फिल्म पर करणी सेना के विरोध-प्रदर्शन के बाद भारी नुकसान हुए। इस दौरान भी करणी सेना के किसी कार्यकर्ता को नुकसान की भरपाई को लेकर कोई नोटिस नहीं गया।
- राजधानी दिल्ली में भी इसी साल अगस्त में रविदास मंदिर के गिराये जाने पर भारी प्रदर्शन और तोड़फोड़ हुए। इस मामले में भी कोई नोटिस नहीं गया।
नुकसान की भरपाई के लिए कोई कानून नहीं
दिलचस्प ये है कि प्रदर्शनकारियों से नुकसान की भरपाई को लेकर कोई कानून नहीं है। ऐसे जो भी कदम अब तक उठाये गये हैं, वे 2007 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश और कुछ राज्यों में हाई कोर्ट के निर्देशों के आधार पर उठाये जाते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के 2007 के ही आदेश के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी प्रदर्शनकारियों से नुकसान की भरपाई के आदेश दिये।
इस बार यूपी सरकार इतनी सख्त क्यों है, इस सवाल पर यूपी के एक अधिकारी ने कहा, 'ये कदम धार्मिक रूप से प्रोरित नहीं है। ये सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश पर आधारित है। प्रशासन को इसे लागू करने को लेकर फैसला लेना होता है। हमसे सवाल उस समय पूछिएगा जब अगर अगली बार बजरंग दल सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाता है और हम ऐसा ही कोई कदम नहीं उठाते हैं।'