जलीकट्टू: इस बार बैलों का होगा ये टेस्ट,आयोजक भी हैरान
By रामदीप मिश्रा | Published: January 10, 2018 03:55 PM2018-01-10T15:55:04+5:302018-01-10T16:04:39+5:30
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने जलीकट्टू खेल को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने जलीकट्टू खेल को लेकर दिशा निर्देंश जारी किए थे, जिसके बाद आयोजकों का कहना है कि इस तरह के परीक्षण तो किए जाएंगे, लेकिन कैस होंगे ये अभी तक पता नहीं है। बोर्ड ने जलीकट्टू खेल के लिए बैलों का चयन करने से पहले उनके स्वस्थ होने को लेकर परीक्षण करने के निर्देश दिए थे।
एबीबीआई के दिशानिर्देशों के अलावा अतिरिक्त परीक्षणों की मांग की गई है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि बैल का प्रदर्शन नशे के चलते नहीं बेहतर हुआ बल्कि वह इस काबिल था। वहीं, निर्देशों में कहा गया कि चयनित जानवरों का निकोटीन और कोकीन टेस्ट भी होना चाहिए।
बता दें, जलीकट्टू तमिलनाडु में एक बहुत पुरानी परंपरा है। यह जलीकट्टू नई फसल के लिए मनाए जाने वाले त्योहार पोंगल का हिस्सा है। इस त्योहार से पहले गांव के लोग अपने-अपने बैलों की प्रैक्टिस करवाते हैं, जहां मिट्टी के ढेर पर बैल अपनी सींगों को रगड़ कर जलीकट्टू की तैयारी करता है। बैल को खूंटे से बांधकर उसे उकसाने की प्रैक्टिस करवाई जाती है, ताकि उसे गुस्सा आए और वो अपनी सींगों से वार करे।
खेल के शुरू होते ही पहले एक एक करके तीन बैलों को छोड़ा जाता है। ये गांव के सबसे बूढ़े बैल होते हैं। इन बैलों को कोई नहीं पकड़ता, ये बैल गांव की शान होते हैं और उसके बाद जलीकट्टू का असली खेल शुरू होता है। मुदरै में होने वाला ये खेल तीन दिन तक चलता है।
इस खेल के लिए 300 से 400 किलो के बैलों को इंसानों द्वारा चुनौती दी जाती है। रिवाज कुछ ऐसा है कि बैलों के सीगों पर लगे नोट उतारने के लिए लोग जान की परवाह भी नहीं करते। खेल में हिस्सा लेने वाले लोग बैल का इंतजार करते हैं और जो फुर्ती और मुस्तैदी दिखाकर सांड को चंद सेकेंड भी रोकने में कामयाब होता है वो सिकंदर बन जाता है।