Budget 2024: ''इस बजट में कुछ भी ठोस नहीं, यह विदाई भाषण जैसा था'', उद्धव की शिवसेना ने 'सामना' में किया हमला
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 2, 2024 09:31 AM2024-02-02T09:31:37+5:302024-02-02T09:35:09+5:30
उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के आखिरी बजट को बेहद निराशाजनक बताया है।

फाइल फोटो
मुंबई: उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के आखिरी बजट को बेहद निराशाजनक बताया है।
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बीते गुरुवार को संसद में पेश किये गये अंतरिम बजट 2024 की घोषणा के बाद शिवसेना (यूबीटी) के आधिकारिक मुखपत्र 'सामना' ने अंतरिम बजट पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ''इस बजट में कुछ ठोस समाधान नहीं दिख रहा है, यह एक विदाई भाषण जैसा था।''
सामना ने संपादकीय में बजट को लेकर मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए लिखा है, "हम तो जाते अपने गांव, हमारी सबको राम राम राम। वित्त मंत्री ने इस अंतरिम बजट को ऐसे पेश किया जैसे कि यह कोई विदाई भाषण हो।''
संपादकीय में कहा गया है, "वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कल पेश किए गए 2024-25 के अंतरिम बजट में न तो कोई बदलाव किया और न ही नागरिकों को कोई राहत दी गई है। आम चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार जनता की जेब से कुछ भी लेने से नहीं चूकना चाहती है। इस अंतरिम बजट से देश को कुछ नहीं मिला।"
इसके आगे 'सामना' में कहा गया है, "चूंकि लोकसभा के आम चुनाव नजदीक हैं, इसलिए राजनीतिक निहितार्थों को देखते हुए बजट के माध्यम से जनता पर कोई अतिरिक्त कर लगाने की कोई संभावना नहीं थी। इस एक एहसान के अलावा इस अंतरिम बजट से देश को क्या मिलना चाहिए, शोध का विषय है। बजट में आंकड़ों की कमी थी। यह एक ऐसा बजट है जो देश के आम लोगों, गरीबों, कामकाजी लोगों और मध्यम वर्ग के मजदूरों को कुछ भी नहीं देता है।
सामना में आगे कहा गया कि वित्त मंत्री सीतारमण देश की अर्थव्यवस्था के बारे में बात करने के बजाय बार-बार मोदी का नाम जपते नजर आईं। उनका भाषण आरती उतारते समय किये जाने वाले गुणगान के जैसा है।
सामना ने अपने संपादकीय में कहा, "देश की अर्थव्यवस्था की अच्छी या बुरी तस्वीर पेश करने के चक्कर में पड़े बिना वित्त मंत्री ने यह बताने की कोशिश की कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में क्या किया है। वह फिर से मोदी का नाम जपती देखी गईं और फिर से बता रही हैं कि जब नरेंद्र मोदी ने काम करना शुरू किया तो उनके सामने क्या चुनौतियां थीं और मोदी के इस देश में आने के बाद ही इस देश में जनकल्याण के काम कैसे शुरू हुए। अगर एक वाक्य में कहा जाए तो बजट पर निर्मला सीतारमण का भाषण वित्त से कम ज्यादा मोदी की आरती ज्यादा लगी।“