निर्मला सीतारमण ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को अब आरबीआई की निगरानी में लाने का फैसला अपने बजट भाषण में किया है. यह फैसला IL&FS क्राइसिस को देखते हुए लिया गया है.
उन्होंने कहा है कि सरकारी कंपनियों में सरकारी निवेशकों यानी बैंकों, बीमा कंपनियों और सरकार की सीधी हिस्सेदारी तक 51 फीसदी पर सीमित करने पर विचार किया जायेगा.
सरकारी कंपनियों में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ेगी. अच्छी रेटिंग वाली एनबीएफसी कंपनियों को सरकार 1 लाख करोड़ के सामूहिक कर्ज पर 6 महीने का इनपुट क्रेडिट देगी. हाउसिंग कंपनियों को आरबीआई रेगुलेट करेगा.