Budget 2019: मेट्रो को 400 करोड़, दिल्ली को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 325 Crore आवंटित
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 5, 2019 07:36 PM2019-07-05T19:36:49+5:302019-07-05T19:36:49+5:30
दिल्ली मेट्रो की मौजूदा परिचालन दूरी 342 किलोमीटर है और इसमें 250 स्टेशन हैं। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को देश भर में मेट्रो परियोजनाओं को निष्पादित करने के लिए 17,713 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो कि पिछले वित्त वर्ष के संशोधित बजट में 14,864 करोड़ रुपये थे।
दिल्ली मेट्रो को 2019-20 के केन्द्रीय बजट में 414 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 50 करोड़ रुपये था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में बजट पेश करते हुए यह जानकारी दी।
दिल्ली मेट्रो की मौजूदा परिचालन दूरी 342 किलोमीटर है और इसमें 250 स्टेशन हैं। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को देश भर में मेट्रो परियोजनाओं को निष्पादित करने के लिए 17,713 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो कि पिछले वित्त वर्ष के संशोधित बजट में 14,864 करोड़ रुपये थे।
सरकार ने मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) के लिए 19,152 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जबकि पिछले बजट में 15,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।
आप सरकार की मांग शुक्रवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट में भी पूरी नहीं हुई
केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी बढ़ाने की आप सरकार की मांग शुक्रवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट में भी पूरी नहीं हुई और राष्ट्रीय राजधानी को 325 करोड़ आवंटित किए गए, जो पिछले 18 वर्षों से आवंटित हो रही राशि जितनी ही है।
दिल्ली सरकार ने केंद्रीय करों और शुल्कों में अपनी हिस्सेदारी के बदले में 6,000 करोड़ की मांग की थी लेकिन उसे इसका बहुत छोटा सा हिस्सा ही मिला। बजट दस्तावेजों के मुताबिक दिल्ली को केंद्रीय करों और शुल्कों में अपनी हिस्सेदारी के बदले में अनुदान के तौर पर 325 करोड़ मिले, जबकि गृह मंत्रालय से दिल्ली को कुल अंतरण 2018-19 के 867.49 करोड़ से बढ़ा कर 1,112 करोड़ किया गया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पिछले महीने बुलाई गई बजट पूर्व बैठक में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी के लिए 6,000 करोड़ की मांग की थी।
उन्होंने कहा था कि इस शहर को पिछले 18 साल से सिर्फ 325 करोड़ ही मिलता आ रहा है। मई में हुए लोकसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित आप सरकार ने यह मुद्दा उठाया था। केजरीवाल और सिसोदिया ने हाल ही में सीतारमण से मुलाकात की थी और यह बताया था कि दिल्ली केंद्र के खजाने में आयकर राजस्व के तौर पर करीब 1.5 लाख करोड़ का योगदान करती है।
हालांकि, इसके बदले में उसे महज 325 करोड़ ही मिलते हैं। गृह मंत्रालय से दिल्ली को अंतरित राशि में सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए बढ़ाई गई मुआवजे की राशि के तौर पर 10 करोड़ रूपये और चंद्रावल जल शोधन संयंत्र के लिए 300 करोड़ की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता भी शामिल है।
सरकार को चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक से 90,000 करोड़ रुपये लाभांश मिलने की उम्मीद
सरकार को चालू वित्त वर्ष में भारतीय रिजर्व बैंक से लाभांश के रूप में 90,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। यह पिछले वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए 68,000 करोड़ रुपये के लाभांश से 32 प्रतिशत अधिक है।
इसमें 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश भी शामिल था। यह किसी भी वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को दिया गया सबसे अधिक लाभांश था। इससे पहले वित्त वर्ष 2015-16 में रिजर्व बैंक ने 65,896 करोड़ रुपये और 2017-18 में 40,659 करोड़ रुपये का लाभांश सरकार को दिया था।
गर्ग ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक का लाभांश उसकी वार्षिक बैठक के बाद आएगा। सरकार को रिजर्व बैंक से 90,000 करोड़ रुपये लाभांश मिलने की उम्मीद है।’’ रिजर्व बैंक जुलाई-जून को वित्त वर्ष मानता है। आमतौर पर अपना वार्षिक हिसाब-किताब करने के बाद वह अगस्त में लाभांश की घोषणा करता है।