बॉम्बे हाईकोर्ट: बच्चे को सिंगल मदर की जाति को अपनाने का पूरा अधिकार है

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 28, 2022 05:40 PM2022-03-28T17:40:19+5:302022-03-28T17:44:52+5:30

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की पृष्ठभूमि देखने से पता चलता है कि वह भी अपनी मां के समान पिता की ओर से उपेक्षित और अनदेखेपन की शिकार रही है। इसलिए उसे अपने पिता के बजाय अपनी मां की जाति अपनाने का पूरा अधिकार है।

Bombay High Court: The child has every right to adopt the caste of a single mother | बॉम्बे हाईकोर्ट: बच्चे को सिंगल मदर की जाति को अपनाने का पूरा अधिकार है

फाइल फोटो

Highlightsमां ने बेटी के स्कूल के फॉर्म में जाति के कॉलम में अपनी जाति 'महार' को दर्ज कराया था याचिकाकर्ता के माता-पिता ने 1993 को शादी की थी लेकिन 2009 में उनका तलाक हो गया थाकोर्ट ने कहा सारे सबूत याचिकाकर्ता को महार जाति से संबंधित होने का दावे की पुष्टि करते हैं

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 20 साल की एक युवती की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मां द्वारा अकेली पली-बढ़ी है. इसलिए उसे मां की जाति को अपनाने का पूरा हक है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले में जाति जांच समिति द्वारा पारित आदेश को खारिज करते हुए कहा कि पैनल इस विषय पर नये सिरे से गौर करे।

जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता को पूरी तरह से अकेले उसकी मां ने ही पाला है, जो महार अनुसूचित जाति से संबंधित है। याचिका में दी गई जानकारी के अनुसार युवती के माता-पिता की शादी 25 अप्रैल, 1993 को हुई थी। लेकिन जल्द ही दोनों के बीच आपसी कलह शुरू हो गई और उनका दांपत्य मतभेद कभी दूर नहीं हो सका। इसक वजह से दोनों ने एक-दूसरे को नवंबर 2009 में कोर्ट से तलाक दे दिया।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में बताया कि उसका जन्म अगस्त 2002 में हुआ था और तलाक के समय वह मुश्किल से सात साल की थी। उसके बाद उसका लालन-पालन उसकी मां द्वारा अकेले किया गया। 

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में सौंपे गये रिकॉर्ड के मुताबिक मां-बाप के बीच तलाक से पहले भी याचिकाकर्ता की देखभाल उसकी ही मां करती थी। विजिलेंस इंक्वायरी ऑफिसर ने भी जांच में पाया कि याचिकाकर्ता के पिता ने कभी भी अपने दोनों बच्चों की देखभाल नहीं की और न ही कभी अपने बच्चों को अपने किसी रिश्तेदार मिलाया।

इसके साथ ही विजिलेंस ऑफिसर ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता समेत बच्चे अपने पिता की ओर के किसी भी रिश्तेदार को नहीं पहचानते थे। उन्होंने जांच में यह बात भी नोट की कि जब याचिकाकर्ता को पहली कक्षा में स्कूल में दाखिला दिलवाया गया था तो उसकी मां ने स्कूल के फॉर्म में बेटी की जाति के तौर पर अपनी जाति 'महार' को दर्ज कराया था। इतना ही नहीं अधिकारी ने पाया कि बच्चों के नाना भी महार जाति के रीति-रिवाजों, परंपराओं और प्रथाओं का पालन करते हैं।

अदालत ने कहा कि सबूत बताते हैं कि याचिकाकर्ता अब बड़ी हो गई है और उसे महार जाति के रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ पाला गया है। मालमे की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस जीए सनप की बेंच ने कहा, "सारे सबूत निश्चित रूप से याचिकाकर्ता को महार जाति से संबंधित होने का दावा करने का अधिकार देते हैं।"

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की पृष्ठभूमि देखने से पता चलता है कि वह भी अपनी मां के समान पिता की ओर से उपेक्षित और अनदेखेपन की शिकार रही है। इसलिए उसे अपने पिता के बजाय अपनी मां की जाति अपनाने का पूरा अधिकार है।

Web Title: Bombay High Court: The child has every right to adopt the caste of a single mother

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