घर की छत से सीटी बजाना किसी महिला के प्रति यौन मंशा को साबित नहीं करता: बॉम्बे हाई कोर्ट
By विनीत कुमार | Published: January 25, 2023 05:46 PM2023-01-25T17:46:52+5:302023-01-25T18:14:05+5:30
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए तीन आरोपियों को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि केवल अपने घर से सीटी बजाना या किसी तरह की आवाज निकालना किसी महिला के प्रति यौन मंशा या उत्पीड़न को साबित नहीं करता है।
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने छत से सीटी बजाकर एक महिला की इज्जत से खिलवाड़ करने के आरोप का सामना कर रहे तीन आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी है। अदालत ने कहा, 'केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति द्वारा अपने घर में कोई आवाज की गई, हम सीधे तौर पर यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि यह महिला के प्रति यौन इरादे से किया गया।'
जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और अभय वाघवासे की पीठ ने अहमदनगर के रहने वाले लक्ष्मण, योगेश और सविता पांडव द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया। इन तीनों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए थे। साथ ही नेवासा सत्र न्यायाधीश द्वारा इनकी अग्रिम जमानत को अस्वीकार कर दिया गया था। इसके बाद इन आरोपियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
तीनों पर मारपीट, पीछा करने, शांति भंग करने के लिए उकसाने और आपराधिक धमकी के माध्यम से एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसे आरोप हैं।
महिला ने एफआईआर में क्या लगाए हैं आरोप?
एफआईआर में कहा गया है कि आरोपी और शिकायतकर्ता पड़ोसी हैं। महिला का आरोप था कि योगेश उसे इस तरह से घूरता था जिससे उसकी गरिमा भंग होती थी। वह योगेश के व्यवहार को नजरअंदाज करती रही, लेकिन 28 नवंबर, 2021 को महिला ने उसे अपने घर के बाहर मोबाइल फोन से उसका वीडियो बनाते हुए पाया। महिला के अनुसार उसके पति ने भी अपने घर के गेट के पास से इसे देखा था।
आरोपों के अनुसार महिला के पति ने योगेश के खिलाफ अपने मकान मालिक से शिकायत भी की थी, लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया। महिला ने यह भी कहा कि आरोपी ने उसके खिलाफ जातिवादी गाली भी दी थी और योगेश पड़ोस के लोगों को उसकी वीडियो क्लिप दिखाकर उसे और उसके परिवार को बदनाम कर रहा था।
महिला ने कहा कि उसने यह सबकुछ होने के बावजूद योगेश को नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन 21 से 23 मार्च, 2022 के बीच योगेश ने छत से सीटी बजाना शुरू कर दिया। महिला के अनुसार योगेश ने अपने मुंह और यहां तक कि बर्तनों से हर तरह की आवाज निकाली। वह लगातार अपनी गाड़ी का रिवर्स हॉर्न भी बजा रहा था।
महिला ने कहा कि योगेश के घर का सीसीटीवी कैमरा भी इस तरह से लगाया गया था कि उसकी घर में पूरी गतिविधि कैमरे में कैद हो जाए। महिला ने दावा किया कि 24 मार्च को योगेश और उसके परिवार ने उस पर पथराव किया था, जिसके परिणामस्वरूप उसके सिर में चोट लगी थी। महिला के अनुसार उसका चौकीदार इस घटना का चश्मदीद था। महिला ने कहा कि जब वह घटना को लेकर आरोपी से बात करने गई तो आरोपी ने उसे जातिसूचक गालियां दी और शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
आरोपी योगेश पांडव के वकील ने किए क्या दावे?
दूसरी ओर, पांडव परिवार की ओर से पेश वकील एनबी नरवड़े ने कहा कि घटना के तीन महीने बाद प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। उन्होंने कहा कि योगेश के परिवार के खिलाफ प्राथमिकी तब दर्ज की गई जब उन्होंने पहली बार महिला और उसके पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
उन्होंने आरोप लगाया कि महिला द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी सरासर 'जाति का दुरुपयोग' और 'बदला लेने के इरादे के अलावा कुछ नहीं' है। उन्होंने कहा कि महिला और उसका पति उस घर को खरीदना चाहते थे, जहां योगेश का परिवार किराए पर रह रहा है, लेकिन मकान मालिक इसके लिए राजी नहीं था।
पूरे मामले में हालांकि, पीठ ने पांडव परिवार के खिलाफ आरोपों और कथित घटना पर गौर करते हुए पिछले साल 21 से 23 मार्च के बीच की घटनाओं के संबंध में कहा, 'यह पांडवों के घर से किए गए प्रतीत होते हैं। इससे प्रथम दृष्टया अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि यह किसी विशेष वजह से किया गया। केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति द्वारा उसके घर में कुछ ध्वनि उत्पन्न की जाती है, हम सीधे तौर पर यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि यह महिला के प्रति यौन उत्पीड़न के इरादे से किया गया हो।'