बंबई उच्च न्यायालय का सीबीआई जांच का आदेश, महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा

By भाषा | Published: April 5, 2021 09:15 PM2021-04-05T21:15:19+5:302021-04-05T21:15:19+5:30

Bombay High Court orders CBI inquiry, Maharashtra Home Minister resigns | बंबई उच्च न्यायालय का सीबीआई जांच का आदेश, महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा

बंबई उच्च न्यायालय का सीबीआई जांच का आदेश, महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा

मुंबई/नयी दिल्ली, पांच अप्रैल महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को ‘‘नैतिक आधार’’ पर पद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ ही देर पहले बंबई उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के ‘वसूली’ के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

हालांकि, राकांपा के वरिष्ठ नेता के मंत्री पद से इस्तीफे से राजनीतिक-पुलिस ड्रामा में एक और अध्याय जुड़ गया है, जो उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के बाहर फरवरी के अंत में एक संदिग्ध वाहन मिलने के बाद शुरू हुआ था। वाहन से जिलेटिन (विस्फोटक सामग्री) की छड़ें बरामद हुई थी। देशमुख पद से इस्तीफा देने का अब तक प्रतिरोध करते रहे थे।

नवंबर 2019 में शिवसेना नीत महाविकास आघाडी सरकार के महाराष्ट्र की सत्ता में आने के बाद उन्हें गृह विभाग दिया गया था।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से राज्य सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने संवाददाताओं को बताया कि देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना त्याग पत्र सौंपा है।

इस घटनाक्रम के बाद राकांपा के वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल को सोमवार को महाराष्ट्र के गृह विभाग का प्रभार सौंपा गया।

इससे पहले दिन में, उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को देशमुख के खिलाफ सिंह द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार एवं कदाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर पूरी करने और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेने का निर्देश दिया।

देशमुख (70) विदर्भ क्षेत्र के एक दिग्गज नेता हैं, जो पिछले दो दशक से भी अधिक अवधि के दौरान (2014 से 2019 तक को छोड़ कर) अधिकांश समय मंत्री रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि यह “असाधारण’’ और “अभूतपूर्व’’ मामला है, जिसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

पीठ ने 52 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा कि देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों ने राज्य पुलिस में नागरिकों के विश्वास को दांव पर लगा दिया।

देशमुख ने भी त्याग पत्र की एक प्रति ट्वीट की, जिसमें उन्होंने कहा कि अधिवक्ता जयश्री पाटिल की याचिका पर उच्च न्यायालय ने आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया है।

उन्होंने त्यागपत्र में लिखा, ‘‘अदालत के आदेश के बाद मुझे पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। मैंने पद छोड़ने का निर्णय किया है। कृपया मुझे मेरे पद से कार्यमुक्त करें।’’

मलिक ने बताया कि अदालत के आदेश के बाद देशमुख ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकत की और त्यागपत्र देने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि उन्हें लगा कि सीबीआई जांच के आदेश के बाद पद पर बने रहना उचित नहीं होगा।

मलिक ने कहा, ‘‘देशमुख पद छोड़ने के लिए पवार से ‘हरी झंडी’ मिलने के बाद ठाकरे को इस्तीफा सौंपने गए।’’

उन्होंने कहा कि सिंह के आरोप निराधार हैं, लेकिन पार्टी अदालत का सम्मान करती है और इसलिए देशमुख पद छोड़ेंगे।

मलिक ने अपनी पार्टी के सहकर्मी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘राज्य सरकार आरोपों पर पहले ही एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराए जाने का आदेश दे चुकी है लेकिन हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और अदालत के आदेश के बाद, देशमुख ने स्वयं कहा कि वह पद पर नहीं बने रहना चाहते।’’

अदालत ने देशमुख के खिलाफ लगाये गये गंभीर आरोपों का कड़ा संज्ञान लिया। वह अंबानी के आवास एंटीलिया के पास वाहन में विस्फोट सामग्री पाये जाने के मामले और इस मामले में तथा ठाणे के कारोबारी की हत्या में कथित भूमिका को लेकर सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद से आलोचना का सामना कर रहे थे।

अदालत ने कहा कि एक सेवारत पुलिस अधिकारी द्वारा राज्य के गृह मंत्री के खिलाफ लगाए गए ऐसे आरोपों को बिना जांच के नहीं रहने दे सकते और जहां इसमें जांच की जरूरत होगी, यदि प्रथम दृष्टया, तो वे संज्ञेय अपराध का मामला बना सकते हैं।

अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराया जाना जरूरी है जिससे “लोगों का भरोसा कायम रहे और नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा हों।”

उच्च न्यायालय ने तीन जनहित याचिकाओं और पिछले महीने दायर एक फौजदारी रिट याचिका पर अपना फैसला सुनाया।

इनमें से एक याचिका खुद सिंह ने दायर की थी और दो अन्य याचिकाएं घनश्याम उपाध्याय तथा स्थानीय शिक्षक मोहन भिडे ने दायर की थी। फौजदारी रिट याचिका वकील जयश्री पाटिल ने दायर की थी। अदालत ने पाटिल की याचिका पर सीबीआई जांच का आदेश दिया।

सिंह ने 25 मार्च को देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत अन्य पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा। देशमुख ने इन आरोपों से इनकार किया है।

देशमुख के इस्तीफे से उत्साहित भाजपा ने सोमवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा और कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद उन्होंने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने महाराष्ट्र के सचिन वाझे मामले और पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के आरोपों का उल्लेख करते हुए नयी दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं के समक्ष सवाल किया कि जिस मुख्यमंत्री की अगुवाई में इतनी बड़ी-बड़ी घटनाएं हो रही हैं, उनका कोई नैतिक दायित्व बनता है कि नहीं?

प्रसाद ने कहा कि देशमुख ने अपने इस्तीफे में जिक्र किया है कि वह नैतिक आधार पर पद से त्यागपत्र दे रहे हैं लेकिन इस पूरे प्रकरण में उद्धव ठाकरे की चुप्पी कई सवाल उठाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री जी, आपकी कोई नैतिकता है कि नहीं? आपकी नैतिकता कहां हैं? क्या हम आपकी नैतिकता के बारे में कभी सुनेंगे? मुख्यमंत्री जी, शासन करने के नैतिक अधिकार से अब आप वंचित हो गए हैं। लोकतंत्र लोक-लाज से चलता है।’’

प्रदेश भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देशमुख ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, ‘‘गलतियां करने वालों को दंडित किया जाना चाहिए, अन्यथा लोकतंत्र मजबूत नहीं होगा।’’

वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि महाराष्ट्र सरकार उच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी जांच एजेंसी ईश्वर का अवतार नहीं है। यह मुद्दा राजनीतिक भी है। हमारी परंपरा रही है कि हम न्यायपालिका के फैसलों का सम्मान करते हैं।

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