बॉम्बे हाईकोर्ट का केन्द्र सरकार को फटकार, 'FTII इंस्टीट्यूट को दूरदर्शन ना समझे'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 9, 2019 02:28 PM2019-08-09T14:28:25+5:302019-08-09T14:28:25+5:30
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के फैकल्टी सदस्य इंद्रनील भट्टाचार्य द्वारा फेसबुक पर एक सरकार विरोधी पोस्ट पर लिए अनुशासनात्मक आधार पर उन्हें 19 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन्ही की याचिका पर सुनवाई में केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार( आठ अगस्त) केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुये कहा है कि सरकार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) को दूरदर्शन ना समझे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये फटकार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) पुणे में हस्तक्षेप करने के लिए केंद्र सरकार को लगाई है। कोर्ट ने कहा, "एफटीआईआई दूरदर्शन नहीं है। यह किसी सरकारी मीडिया का अंग नहीं है। इसकी वजह स्वायत्तता है। आपने इसकी गरिमा को कम कर दिया है?" जस्टिस सत्यरंजन धर्माधिकारी और गौतम पटेल की पीठ ने सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार को ये बात कही।
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के फैकल्टी सदस्य इंद्रनील भट्टाचार्य द्वारा फेसबुक पर एक सरकार विरोधी पोस्ट पर लिए अनुशासनात्मक आधार पर उन्हें 19 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन्ही की याचिका पर सुनवाई में केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है।
उनके वकील सुनीप सेन ने कहा कि यह कार्रवाई निंदनीय है क्योंकि उन्होंने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से शिकायत की थी और फिर उन्हें तीन कारण बताओ नोटिस और निलंबन आदेश दिया गया।
केन्द्र के वकील नीता मसुरकर ने कहा कि उन्हें पहले कैट के पास जाना चाहिए। जस्टिस गौतम पटेल ने केन्द्र सरकार के वकील से पूछा- आपको नहीं लगता कि केन्द्र सरकार ने प्रतिष्ठित संस्थान पर अनावश्यक नौकरशाही का सहारा लेकर हस्तक्षेप किया है। उन्होंने याद करते हुये कहा बॉलीवुड के प्रमुख फिल्म-निर्माता इस संस्था के हैं और अच्छी फिल्म बनाते हैं। लेकिन पांच से छह सालों में एफटीआईआई की स्थिति खराब है। इसका एक इतिहास है। इस जगह में प्रवेश करने के लिए लोग जीतोड़ मेहनत करते हैं। यहां रचनात्मकता दिखाई देती थी। आपको यहां का पूरा बैकग्राउंड और रोस्टर देखना चाहिए।''
याचिकाकर्ता के वकील सुनीप सेन ने कहा, इंद्रनील भट्टाचार्य फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से इस्तीफा देने चाहते थे। उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया में अप्लाई भी किया था लेकिन उनका आवेदन पत्र एफटीटीआईआई के डायरेक्टर के पास भी गया।
कोर्ट के जज ने कहा कि वो चाहते हैं कि मामले को गंभीरता से लेते हुये इसको सुलझा लिया जाये। याचिकाकर्ता के वकील सुनीप सेन ने कहा उन्होंने मामले की शिकायत CVC में भी की है। मैं प्रेस और किसी भी थर्ड पार्टी के पास नहीं जाउंगा।