बंबई उच्च न्यायालय ने आईपीएस रश्मि शुक्ला के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: December 15, 2021 18:36 IST2021-12-15T18:36:41+5:302021-12-15T18:36:41+5:30

Bombay High Court dismisses plea for quashing of FIR against IPS Rashmi Shukla | बंबई उच्च न्यायालय ने आईपीएस रश्मि शुक्ला के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज की

बंबई उच्च न्यायालय ने आईपीएस रश्मि शुक्ला के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज की

मुंबई, 15 दिसंबर बंबई उच्च न्यायालय ने कथित फोन टैपिंग और संवेदनशील दस्तावेज लीक करने के मामले में मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध करने वाली भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी रश्मि शुक्ला की याचिका बुधवार को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया एक संज्ञेय अपराध किया गया है।

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने इस मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हस्तांतरित करने का रश्मि शुक्ला का अनुरोध भी ठुकरा दिया।

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शुक्ला अभी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (दक्षिण क्षेत्र) हैं और हैदराबाद में पदस्थ हैं। शुक्ला उस वक्त महाराष्ट्र खुफिया विभाग का नेतृत्व कर रही थी जब पिछले साल कथित फोन टैपिंग हुई थी।

पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि शुक्ला प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर नामजद नहीं हैं, इसलिए महाराष्ट्र सरकार उनके खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने का इरादा करने से पहले उन्हें सात दिनों का नोटिस देगी।

पीठ ने शुक्ला की याचिका पर अपने आदेश में कहा, ‘‘दोनों ही अनुरोध--प्राथमिकी रद्द करने और मामला सीबीआई को हस्तांतरित करने--खारिज किये जाते हैं। यदि राज्य सरकार याचिकाकर्ता (शुक्ला) के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने का इरादा रखती है तो उसे याचिकाकर्ता को सात दिन का नोटिस देना होगा।’’

शुक्ला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध हुआ है।

पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि प्राथमिकी में एक संज्ञेय अपराध होने का खुलासा किया गया है, ऐसे में पुलिस का जांच करने का कर्तव्य है। प्राथमिकी रद्द करने के लिए और आगे की जांच रोकने के लिए कोई ठोस आधार नहीं बताया गया।’’

उच्च न्यायालय ने शुक्ला की यह दलील स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि चूंकि सीबीआई महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ एक मामले की जांच कर रही है, इसलिए यह मामला भी केंद्रीय जांच एजेंसी को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि दोनों ही मामले अलग-अलग हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा कि प्राथमिकी के मुताबिक गोपनीय सूचना वाली एक पेन ड्राइव, जिसे विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़णवीस ने दिखाया था (पुलिस तबादला एवं तैनाती में कथित भ्रष्टाचार पर), उसके मालिक की अनुमति से नहीं लिया गया था।

अदालत ने कहा कि इस बारे में जांच अब भी जारी है कि विभिन्न गोपनीय सूचना वाली पेन ड्राइव धोखाधड़ी कर कैसे अनधिकृत रूप से डाउनलोड और कॉपी की गई थी।

राज्य सरकार ने जांच के दौरान दो पेन ड्राइव बरामद होने का दावा किया था। पुलिस के मुताबिक ये अब केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास हैं।

इस साल अक्टूबर में महाराष्ट्र सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि रश्मि शुक्ला मामले में आरोपी के रूप में नामजद नहीं है लेकिन उनके खिलाफ जांच के लिए समुचित सामग्री है।

शुक्ला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पुलिस विभाग में तबादले और तैनाती में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट तैयार करने की वजह से उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और महाराष्ट्र सरकार उन्हें निशाना बना रही है।

प्राथमिकी, कथित तौर पर अवैध रूप से फोन टैपिंग करने और कुछ खास गोपनीय दस्तावेज व सूचना लीक करने को लेकर मुंबई के बीकेसी साइबर पुलिस थाने में इस साल मार्च में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी।

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Web Title: Bombay High Court dismisses plea for quashing of FIR against IPS Rashmi Shukla

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