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लॉकडाउन के बाद क्या होगा, नेत्रहीनों को सता रही है इस बात की चिंता

By भाषा | Updated: May 7, 2020 12:49 IST

वैज्ञानिकों का कहना है कि व्यक्तियों के बीच आपसी संपर्क के अलावा कोरोना वायरस सतह को छूने से भी फैल सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना वायरस में किसी सतह पर कुछ घंटों या कई दिनों तक रहने की क्षमता होती है. नेत्रहीन की चिंता है कि वे लोग अब वायरस के चपेट में आने के डर से किसी व्यक्ति को नहीं छू सकती.

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ठळक मुद्देएक दिव्यांग छात्र ने कहा है कि हर किसी को अपने जान की चिंता है, अब किसी अजनबी का नेत्रहीन का हाथ पकड़ना सहज नहीं होगाभारत में 2017 में करीब 1.2 करोड़ नेत्रहीन लोग थे। दुनिया में 3.9 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं।

चीजों को छूकर उनकी पहचान करने वाली नेत्रहीन अमीना को कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन में रियायतों के बाद ‘नयी जिंदगी’’ को लेकर चिंता सता रही है। अमीना को न केवल किसी भी सतह को सिर्फ छूने से संक्रमण की चपेट में आने का भय है बल्कि सामाजिक दूरी के नए नियमों के कारण उसके लिए बाहर की दुनिया और मुश्किल होने जा रही है।

एक नेत्रहीन स्कूल में काम करने वाली अमीना ने कहा, ‘‘हमारे घरों के बाहर हमारी गतिविधियां काफी हद तक दूसरों पर निर्भर करती है और वो भी ज्यादातर अजनबियों पर, चाहे सड़क पार करते वक्त उनकी मदद की जरूरत हो या किराने का सामान खरीदते वक्त। दूसरी बात यह है कि मैं कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के डर से किसी भी व्यक्ति या सतह को नहीं छू सकती और दस्ताने पहनने से स्पर्श करने की मेरी समझ कमजोर होगी।’’

जन्म से ही नेत्रहीन बीकॉम के छात्र सौरभ जैन को इस बात की चिंता है कि ‘‘कोरोना वायस के साथ जीना’’ उनके लिए कैसा होगा। जैन ने कहा, ‘‘मेरे हाथ ही मेरी आंखें हैं और मुझे डर है कि जब मैं बाहर जाऊंगा तो लोग पहले की तरह मेरी मदद नहीं करेंगे। हर किसी को अपनी जान का खतरा है और जाहिर तौर पर किसी अजनबी नेत्रहीन का हाथ पकड़ना उनके लिए सहज नहीं होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस लोगों से भेदभाव नहीं करता लेकिन इसने निश्चित तौर पर दूसरों के मुकाबले हमें ज्यादा कमजोर बना दिया है। हमारे लिए जिंदगी और कठिन होने जा रही है।’’ दुनिया में नेत्रहीन लोगों की एक तिहाई आबादी भारत में है। नेत्रहीन लोगों के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों ने उनसे बाहर निकलते वक्त अत्यधिक एहतियात बरतने की सलाह दी है।

ब्लाइंड वेलफेयर सोसायटी के सदस्य धीरज भोला ने कहा, ‘‘जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा तो नेत्रहीन लोग बाहर निकलेंगे लेकिन उन्हें दस्तानों के जरिए अपनी सुरक्षा करने की जरूरत होगी चाहे इससे उनकी स्पर्श को समझने की शक्ति कमजोर ही क्यों न हो। हम लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह भी दे रहे हैं और ज्यादातर सामान घर पर ही मंगवाने की सलाह दे रहे हैं।’’ नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के महासचिव प्रशांत वर्मा ने कहा कि नेत्रहीन लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे खासतौर से ऐसे लोग जो अकेले रह रहे हैं। 

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