BJP के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का चिट्ठी बम, मध्य प्रदेश जीतने के बाद भी शिवराज नहीं बनेगें सीएम
By मुकेश मिश्रा | Published: November 1, 2018 08:32 PM2018-11-01T20:32:24+5:302018-11-01T20:32:24+5:30
चौहान ने शिकायत करते हुए कहा है कि उनके समर्थकों की भी टिकट वितरण के समय उपेक्षा की जा रही है। कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा अपने लोगों को टिकट दिला कर मुख्यमंत्री बनने की राह आसान कर रहे है।
प्रदेश में इन दिनों कांग्रेस और भाजपा में बड़े नेताओं की चिट्ठी भूचाल मचाये हुए है। दिग्विजय सिंह के बाद अब भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खंडवा से सांसद नंदकुमार सिंह चौहान की चिट्ठी सोश्ल मीडिया में दौड रही है। चौहान की इस कथित चिट्ठी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय की शिकायत की गई है। वही यह भी लिखा है कि शिवराज सिंह मन से काम नहीं कर रहे है क्योंकि उन्हें पता है कि भाजपा हार रही है और जीत गई तो उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जायेगा।
आदरणीय अध्यक्ष जी के नाम से सम्बोधित इस चिट्ठी में सांसद चौहान ने जबलपुर में हुई मुलाकात का जिक्र किया है। और याद दिलाते हुए कह रहे है कि मैनें आपकों बताया था कि पार्टी में मेरी लगातार उपेक्षा की जा रही है। आपने इसका समाधान निकलने तथा शिवराज जी व कैलाश विजयवर्गीय को समझाइश देने का आश्वसन दिया था। लेकिन कुछ भी नहीं बदला। हालत वही है।
उन्होनें लिखा है कि पिछले दिनों अपनी तरफ से पहल करते हुए शिवराज सिंह से बात की थी। लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। पार्टी लगातार राजपूत समाज की उपेक्षा कर रही है। इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। चौहान ने गुजरात चुनाव में अपनी भूमिका को याद दिलाते हुए लिखा है कि यदि वे राजपूतों को भाजपा को समर्थन देने के लिए नहीं कहते तो उनका वोट पार्टी को नहीं मिलता। यह बात पार्टी को नहीं भूलनी चाहिए।
चौहान ने शिकायत करते हुए कहा है कि उनके समर्थकों की भी टिकट वितरण के समय उपेक्षा की जा रही है। कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा अपने लोगों को टिकट दिला कर मुख्यमंत्री बनने की राह आसान कर रहे हैं। जबकि दिल्ली की मीटिंग में नड्डा जी वा गेहलोत जी के समक्ष ये तय हुआ थाकी चुनाव के पहले जनता को इस बात की जानकारी किसी कीमत पर नहीं होनी चाहिए की शिवराज सिंह को दिसम्बर में रक्षामंत्री बना सकते है।
शिवराज सिंह के बारें में चिट्ठी में लिखा है कि वे मन से काम नहीं कर रहे है। क्योंकि एक तो उन्हें प्रदेश में हारने की भनक है। दूसरा वो जानते है कि जीतने पर भी वो मुख्यमंत्री नहीं बनने वाले। भाई साहब मेरा सुझाव है कि शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर देना चाहिए और फिर हिमाचल की तरह रणनीति अपनाना चाहिएं।