केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के गोद लिए गांव का सरकारी अस्पताल लावारिस, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: March 31, 2019 01:30 PM2019-03-31T13:30:16+5:302019-03-31T13:40:42+5:30
Lok Sabha Election 2019: सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गाजियाबाद से बीजेपी सांसद वीके सिंह ने जो गांव गोद लिया, उसका अस्पताल उनके किए गए बाकी सारे कामों पर पानी फेर रहा है। लोकमत न्यूज ने जब अस्पताल का जायजा लिया तो वहां डॉक्टर तो नहीं मिले लेकिन बीमार करने वाली आवो-हवा जरूर मिली।
Lok Sabha Election 2019: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने 2014 में गाजियाबाद के लोनी के करीब मीरपुर हिंदू नाम के एक गांव को गोद लिया था। इस गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत आदर्श बनाया जाना था। लोकसभा चुनाव बेहद करीब हैं और सरकार के कार्यकाल के लगभग पांच साल पूरे हो रहे हैं, ऐसे में लोकमत न्यूज ने गांव का दौरा किया और वहां का हाल जाना। इस दौरान लोकमत न्यूज ने गांव के सरकारी अस्पताल का भी जायजा लिया।
गांव के सरकारी अस्पताल पहुंचकर निराशा हाथ लगी। दरवाजों पर ताले लगे मिले। एक दरवाजा खुला दिखा तो अंदर जाकर देखा। दीवारों पर जाले, फर्श पर धूल की मोटी परत और जगह-जगह जानवरों का मल बिखरा दिखाई दिया। एक शौचालय बना दिखा लेकिन उसकी हालत भारत सरकार के स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाती दिखी।
हमारी पड़ताल के दौरान कुछ स्थानीय बच्चे कैमरा-माइक देखते हुए उत्सुकता पूर्वक अंदर चले आए। अनुज नाम के बच्चे ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर आते नहीं है। महीने भर में पोलियो का ड्रॉप पिलाने वाली मैडम आती हैं।
बच्चों ने बताया कि मामूली चोट-खरोच लग जाने पर मरहम-पट्टी का भी इंतजाम अस्पताल में नहीं है। लोकमत न्यूज ने कुछ बड़े-बजुर्गों से भी अस्पताल को लेकर बात की तो उन्होंने भी यही बताया कि अस्पताल बस नाम का है, वहां डॉक्टर कभी नहीं आते हैं। इलाज कराने के लिए गांव से दूर लोनी या किसी दूसरी जगह जाना पड़ता है।
गांव वालों के मुताबिक सांसद जी के आदर्श गांव के अस्पताल में यह भी नहीं है कि मामूल बुखार और खासी की दवा मिल सके। अस्पताल में बस एक सुविधा देखने को मिली, वो यह कि वहां एक हैंडपंप लगा है और उसमें पानी आता है। कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले तक अस्पताल में किराये पर कुछ लोग रहते रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि जब सांसद जी ने गांव गोद लिया था तो उम्मीद जगी थी कि उन्हें इलाज कराने बाहर नहीं जाना पड़ेगा लेकिन हालात नहीं बदले।