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शिव सेना और बीजेपी की लव-हेट स्टोरी, उद्धव ठाकरे के 5 बयान जिनसे हुए सब हैरान

By पल्लवी कुमारी | Updated: June 1, 2018 07:24 IST

शिव सेना भारतीय जनता पार्टी के जले पर नमक छिड़कने का कोई मौका नहीं छोड़ती। दोनों पार्टियों के रिश्ते के बीच अजीब विरोधाभाष है।

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नई दिल्ली, 31 मई:  ''हमीं से मोहब्बत, हमीं से लड़ाई, अरे मार डाला दुहाई-दुहाई'' दिलीप कुमार और वैजयंती माला की फिल्‍म 'लीडर' का यह गाना भारतीय जनता पार्टी की सबसे पुरानी मित्र और महाराष्ट्र में सहयोगी दल शिव सेना पर काफी जंच रही है। शिव सेना भारतीय जनता पार्टी के जले पर नमक छिड़कने का कोई मौका नहीं छोड़ती। दोनों पार्टियों के रिश्ते के बीच अजीब विरोधाभाष से है। ये दोनों पार्टियां साथ तो हैं लेकिन ऐसा ये दिखाते नहीं हैं। ताजा उदारहण आज उपचुनाव के नतीजों के बाद देखने को मिला। जब पालघर लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद शिव सेना चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा है कि बीजेपी को अब दोस्त की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि 4 सालों में बीजेपी ने लोकसभा में बहुमत गंवा दिया है। 

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उद्धव ठाकरे ने यह आरोप लगाया कि बीजेपी ने पैसे के दम पर चुनाव जीता है। उन्होंने कहा, 'बीजेपी कार्यकर्ताओं को मतदान के एक दिन पहले पैसे बांटते हुए देखा गया था। ठाकरे ने यह भी कहा, 'अगर चुनाव आयोग किसी पार्टी के पक्ष में काम करता है तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है।

ऐसा पहली बार नहीं है जब शिव सेना ने बीजेपी पर हमला बोला है। केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार में सहयोगी बीजेपी और शिव सेना की यह तूतू-मैंमैं, दोनों पार्टियों के लिए फजीहत का कारण हमेशा ही बनी है। दोनों ही सरकार में 'दूसरे' नंबर की भूमिका में मौजूद शिव सेना इस मामले में ज्‍यादा अकड़ दिखाती रहती है। तो आइए ऐसे में हम आपको शिव सेना के पांच ऐसे बयान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो ये साबित करती है कि दोनों पार्टियां एक दूसरे के साथ होकर भी एक साथ नहीं हैं। 

 1- 2015 में  गुजरात स्थानीय निकाय के चुनावी नतीजों के बाद शिव सेना ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा था,  ''गुजरात स्थानीय निकाय चुनावी नतीजे दिखाते हैं कि गुजरात की जनता पूरी तरह से प्रधानमंत्री के पीछे नहीं खड़ी है और भाजपा को यह आकलन करना चाहिए कि नरेंद्र मोदी की होमपिच यानी गृह राज्य में आखिर ये खतरे की घंटियां' बजनी क्यों शुरू हो गयी हैं? बता दें कि इस चुनाव में बीजेपी जीती तो थी लेकिन कांग्रेस ने वहां ग्रामीण इलाकों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था।

2-  बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की शानदार जीत के बाद  शिव सेना ने अपनी सहयोगी बीजेपी पर यह कहते हुए कटाक्ष किया था, 'चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि लोगों को केवल एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है।' उन्होंने यह भी कहा था, 'दिल्ली विधानसभा चुनावों को हल्के तौर पर लेने वालों को बिहार के नतीजों को गंभीरता से लेना होगा क्योंकि यह नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच सीधी लड़ाई थी। राजनीतिक प्रभाव, धन का उपयोग और कई घोषणाएं करने के बावजूद बीजेपी 60 सीटें भी नहीं जीत सकी जबकि उसके सहयोगी दल तो जमीन में 20 फुट नीचे धंस गए'। 

3- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद दिलीप एम. गांधी ने एक बयान दिया था,  'बिंदास हो तंबाकू खाओ, कैंसर की फिक्र भगाओ' । इसके बाद शिव सेना ने गांधी के बयान पर वार करते हुए कहा था, एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तंबाकू-रोधी अभियान शुरू किया है, जबकि दूसरी ओर उनकी पार्टी के सांसद लोगों के बीच 'बिंदास हो तंबाकू खाओ, कैंसर की फिक्र भगाओ' का प्रचार कर रहे हैं। 

पालघर सीट हारने के बाद शिवसेना की प्रेस कांफ्रेंस, BJP और चुनाव आयोग पर जमकर बरसे उद्धव ठाकरे

4- भांडुप नगर निकाय उपचुनाव जीतने के बाद बीजेपी पर निशाना साधते हुए शिव सेना ने कहा था कि विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सत्ता और धन का इस्तेमाल किया जा रहा है तथा भ्रष्ट तरीकों से चुनाव जीते जा रहे हैं। शिव सेना ने यह बयान मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा था।  उन्होंने यह भी कहा था, ' देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जहां राजनीतिक विपक्ष की आवाजों को दबाया जा रहा है। सभी संभव भ्रष्ट तरीकों से चुनाव जीते जा रहे हैं।'

5- गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत के बाद भी शिव सेना ने बीजेपी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, 'बीजेपी की जीत हुई है,लेकिन चर्चा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की हो रही है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश की जीत के लिए हम बीजेपी का स्वागत करते हैं लेकिन कांग्रेस ने जो सफलता हासिल की है, वो भी महत्वपूर्ण है। गुजरात में बीजेपी को 150 से एक भी कम सीटें नहीं मिलेगी, ऐसा सीना ठोक कर कहा जा रहा था, लेकिन 100 का आंकड़ा छूने में भी पार्टी की सांस फूल गई। '

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