बीजेपी भी करती है वंशवाद की राजनीति, यूपी-हरियाणा में दो परिवारों के कई सदस्य सरकार और विधायी पदों पर

By हरीश गुप्ता | Published: June 15, 2019 08:03 AM2019-06-15T08:03:32+5:302019-06-15T08:07:40+5:30

जाट वोट के लिए भाजपा छोटू राम परिवार को इस कदर भुनाना चाहती थी कि उसने बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लाल को जींद विधानसभा सीट से उतारा और वह जीत गईं. अब परिवार में सभी विधायी पदों पर आसीन हैं. चौधरी बीरेंद्र सिंह और भाजपा को शुभकामनाएं.

bjp also dynasty politics, many example in up and haryana | बीजेपी भी करती है वंशवाद की राजनीति, यूपी-हरियाणा में दो परिवारों के कई सदस्य सरकार और विधायी पदों पर

बीजेपी भी करती है वंशवाद की राजनीति, यूपी-हरियाणा में दो परिवारों के कई सदस्य सरकार और विधायी पदों पर

Highlightsउत्तर प्रदेश का कल्याण सिंह परिवार भी भाजपा के वंशवाद विरोधी रुख के दायरे में नहीं आता हैभाजपा ने राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को 2017 में अतौली विधानसभा सीट से टिकट दिया गया.

भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब मई में लोकसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के कारणों को सूचीबद्ध किया, तो उनमें से एक राजनीतिक वंशवाद को तरजीह नहीं देना था. उस समय पार्टी के कई शीर्ष नेताओं को मुस्कुराते हुए देखा गया क्योंकि हकीकत में भाजपा भी इससे अछूती नहीं है. उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भाजपा के दो प्रमुख राजनीतिक परिवार हैं जिनमें से प्रत्येक के तीन-तीन सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं और वे सरकार और विधायी पदों पर हैं.

यह एक ऐसी पार्टी की दुर्लभ उपलब्धि है जो वंशवाद से नफरत करती है. चौधरी बीरेंद्र सिंह का उदाहरण लें जो नरेंद्र मोदी सरकार के पुनर्गठन से पहले इस्पात मंत्री थे. उन्होंने खुद इस्तीफा दिया था. वह भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य हैं. उनके बेटे बृजेंद्र सिंह ने जिन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए चुनाव के ऐन मौके पर आईएएस पद छोड़ दिया था, उन्हें लोकसभा टिकट से पुरस्कृत किया गया. उन्होंने हरियाणा के हिसार से चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत हासिल की. बृजेंद्र सिंह सर छोटू राम और उनके पोते के परिवार से आते हैं.

जाट वोट के लिए भाजपा छोटू राम परिवार को इस कदर भुनाना चाहती थी कि उसने बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लाल को जींद विधानसभा सीट से उतारा और वह जीत गईं. अब परिवार में सभी विधायी पदों पर आसीन हैं. चौधरी बीरेंद्र सिंह और भाजपा को शुभकामनाएं. यह इकलौता परिवार नहीं है, जिनके तीन सदस्य इतने सक्रिय हैं. उत्तर प्रदेश का कल्याण सिंह परिवार भी भाजपा के वंशवाद विरोधी रुख के दायरे में नहीं आता है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं.

यही नहीं, उन्होंने मोदी के राज्यपाल के रूप में एक और कार्यकाल की वकालत भी की है. उनके बेटे राजवीर सिंह को एटा लोकसभा सीट से टिकट का पुरस्कार मिला और उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की. कल्याण सिंह परिवार के लिए इतना पर्याप्त नहीं था. इसी वजह से भाजपा उनके के पोते संदीप सिंह को मैदान में उतार दिया.

कल्याण सिंह के पोते भी बने मंत्री

 भाजपा ने राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को 2017 में अतौली विधानसभा सीट से टिकट दिया गया. वह जीत गए और बाद में योगी आदित्यनाथ सरकार में उनको मंत्री के रूप में शामिल किया गया. इस प्रकार कल्याण सिंह परिवार के भी तीन सदस्य भी वंशवाद की कसौटी से बाहर रहे.

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