पटनाः बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौतों के मामले को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है. विपक्ष ताबड़तोड़ बिहार सरकार पर सियासी हमला कर रहा है. इस बीच राजद ने बिहार में शराबबंदी कानून को बिना शर्त वापस लेने की मांग कर दी है.
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल के बयान ने राजनीतिक गलियारे में भूचाल ला दिया है. इसी क्रम में राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी बिहार की शराबबंदी कानून पर सवाल खडा करते हुए कहा है कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरीके से फेल है और इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जिद्द पर अडे़ हुए हैं.
शिवानंद तिवारी ने कहा है कि शराबबंदी का फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया. पहले देसी शराब को बंद करने की तैयारी थी, लेकिन जब विपक्ष के लोगों ने पूर्ण शराबबंदी को लेकर सवाल उठाया तो उसके कुछ दिनों बाद ही पूर्ण शराबबंदी लागू की गई. इससे यही लगता है कि शराबबंदी को लेकर कोई तैयारी ही नहीं की गई थी. शराबबंदी में गरीब लोग ही जेल जा रहे हैं.
2021 में हुए एक सर्वे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी होने के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग बिहार में शराब पीते हैं. ऐसे में शराबबंदी का क्या मतलब रह जाता है? जबकि हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर बिहार में शराबबंदी प्रभावी नहीं है. जबकि इसे लेकर विशेषज्ञों और सभी पार्टी के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री को बैठक करनी चाहिए.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी के बाद लोग ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं. शराबबंदी के बाद से ड्रग्स की खपत बढ़ गई है. आजकल हर गांव में बेरोजगार युवा ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी पूर्ण शराबबंदी सफल नहीं हुई है. आप शराब या नशा को नियंत्रित तो कर सकते हैं. लेकिन उसको पूर्ण रूप से समाप्त नहीं कर सकते हैं.
लेकिन नीतीश कुमार लाठी-डंडे के जोर पर बिहार के समाज को साधु और महात्मा बनाना चाहते हैं. दुनिया के किसी समाज में यह अब तक मुमकिन नहीं हुआ है. जानकार बता रहे हैं कि नौजवानों में ड्रग का सेवन तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसका कोई असर नीतीश कुमार पर नहीं पड़ने वाला है. वहीं, राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने बिहार में शराबबंदी कानून खत्म करने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि जहरीली शराब का मामला नहीं है. सूबे में शराबबंदी ही फेल है. शराबबंदी कानून ठीक है, लेकिन इसे गलत तरीके से लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से पिछडे वर्गे के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. चौधरी ने कहा कि ताड़ी व्यापार से जुडे़ हर घर के सदस्य जेल में हैं. सरकार के इस कानून से पिछडे़ वर्ग के लोगों का घर बर्बाद हो गया है.
उन्होंने कहा कि शराबबंदी राज्य के लिए नुकसान देना वाला कानून साबित हुआ है. चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि शराबबंदी को सरकार के लोगों ने ही लागू नहीं होने दिया. इसलिए इस कानून को बिना शर्त वापस ले लेना चाहिए. उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. जायसवाल ने भी बिहार में शराबबंदी कानून को फेल बताया है. साथ ही बिहार पुलिस की भूमिका पर सवाल खडे़ किए हैं.
उन्होंने कहा है कि बिहार के कई इलाकों में शराब की बिक्री हो रही है. स्थानीय स्तर पर मिलीभगत के कारण शराब पीने-पिलाने का दौर जारी है. डॉ. जायसवाल ने कहा कि शराबबंदी को पुन: देखने की जरूरत है. उन्होंने सरकार से शराबबंदी की समीक्षा करने की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि पुलिस प्रशासन के सहयोग से सभी जगह शराब बिक रही है. बिहार में शराबबंदी लागू किए पांच साल पूरे हो चुके हैं. इसकी सफलता और असफलता पर विचार करना आवश्यक है. उन्होंने बिहार पुलिस की भूमिका पर सवाल खडे़ किए हैं और पुलिसकर्मियों को शराब माफिया का सहयोगी बताया है.