बिहार: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के मंदिर वाले बयान पर मचा बवाल, चिराग पासवान ने कहा, "तुरंत बर्खास्त हों"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 8, 2024 01:48 PM2024-01-08T13:48:15+5:302024-01-08T13:53:56+5:30
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा राम मंदिर पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार ऐसे अपमानजनक बयान देने वाले मंत्री को तुरंत बर्खास्त करें।
पटना: नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा राम मंदिर पर दिये विवादित बयान के बाद से बिहार की सियासत में उबाल आ गया है। चंद्रशेखर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार ऐसे अपमानजनक बयान देने वाले मंत्री को तुरंत बर्खास्त करें।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने सोमवार को कहा, "मेरी समझ से परे है यह कि अपने विभाग के बारे में चिंता करने के बजाय सनातन धर्म के कथित दुरुपयोग करने के बारे में चिंता कर रहे हैं। मुझे आश्चर्य है कि उनकी पार्टी का नेतृत्व और गठबंधन में दोस्त इसे कैसे सहन कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि मंत्री चंद्रशेखर का राम मंदिर के संबंध में दिया यह विवादित बयान लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है और इससे लोगों के अंदर गुस्सा है।
लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने कहा, "आप लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं और उन्हें भड़का रहे हैं। ऐसे बयान देने वाले मंत्रियों को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। अगर उनका गठबंधन भविष्य के चुनाव में हारा तो उसके पीछे ऐसे बयान ही कारण बनेंगे।"
मालूम हो कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने राम मंदिर पर अपने बयान से एक और विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने बीते रविवार को कहा, "यदि आप घायल हो जाएंगे तो आप कहां जाएंगे? मंदिर या अस्पताल? यदि आप शिक्षा चाहते हैं और अधिकारी, विधायक या सांसद बनना चाहते हैं तो क्या आप मंदिर या स्कूल जाएंगे?"
इसके साथ ही चंद्रशेखर ने लोगों को "छद्म हिंदुत्व और छद्म राष्ट्रवाद" से भी सावधान रहने की सलाह दी। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक फतेह बहादुर सिंह को अपना समर्थन देते हुए कहा कि चंद्रशेखर ने कहा कि वही कह रहे हैं, जो सावित्रीबाई फुले ने कहा था।
चंद्रशेखर ने कहा,, "राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह ने वही बात कही है, जो सावित्रीबाई फुले ने कही थी। यहां गलत क्या है? उन्होंने सावित्रीबाई फुले को उद्धृत किया। क्या शिक्षा आवश्यक नहीं है? हमें छद्म हिंदुत्व और छद्म राष्ट्रवाद से सावधान रहना चाहिए।"
दरअसल फ़तेह बहादुर सिंह ने बिहार में कई पोस्टर लगाए हैं, जिनमें शिक्षा के गुणों का बखान करते हुए मंदिरों के बारे में अपमानजनक बातें कही गई हैं।
उन्होंने कहा, "जब भगवान राम हममें से हर एक में और हर जगह रहते हैं, तो आप उन्हें खोजने के लिए कहां जाएंगे? जिन स्थलों को आवंटित किया गया है, उन्हें शोषण का स्थल बना दिया गया है। जिसका उपयोग समाज में कुछ षड्यंत्रकारियों की जेबें भरने के लिए किया जाता है।"
इस बयान से पहले विपक्षी दल के नेता सरकार पर निशाना साध रहे हैं और रामलला को लेकर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। एनसीपी नेता जीतेंद्र आव्हाड ने रामलला को मांसाहारी बताया था तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने भी भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया था।
इससे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी बीते 4 जनवरी को कहा कि अगर वह बीमार हो जाएं तो उन्हें मंदिर या अस्पताल जाना चाहिए।
बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा, "बीमार पड़ने या घायल होने पर लोग अस्पताल जाएंगे, मंदिर नहीं। मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूं। मैं हाल ही में तिरूपति गया था, जहां मेरी बेटी का मुंडन हुआ था। यहां तक कि मैंने अपने बाल भी चढ़ा दिए। इस देश के ताने-बाने को बदलने के लिए प्रयास चल रहा है। मेरी एकमात्र चिंता इसे रोकने की है।"
वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने महाराष्ट्र के शिरडी में भगवान राम पर बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था।
एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने बीते 3 जनवरी को कहा था, "राम हमारे हैं। राम बहुजनों के हैं। शिकार करके खाने वाले राम हमारे हैं, वे हम बहुजनों के हैं। जब आप लोग हम सबको शाकाहारी बनाना चाहते हैं, तो हम राम के आदर्शों पर चलते हैं और आज भी मटन खाते हैं। राम शाकाहारी नहीं थे, वह मांसाहारी थे।''