बिहार: हड़ताली शिक्षक पटना की सड़कों पर भीख मांगते आए नजर, नीतीश सरकार ने दी कार्रवाई की धमकी
By एस पी सिन्हा | Published: March 3, 2020 06:01 PM2020-03-03T18:01:54+5:302020-03-03T18:01:54+5:30
बिहार बोर्ड की इंटर की परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य चल रहा है.शिक्षकों की हड़ताल से मूल्यांकन कार्य प्रभावित हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार ने मूल्यांकन कार्य में सेवा नहीं देनेवाले शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई भी शुरू कर दी है.
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर मंगलवार को 16वें दिन भी नियोजित शिक्षकों की हड़ताल जारी है. हड़ताली शिक्षक पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर के बाहर भीख मांगते नजर आए. शिक्षकों ने पठन-पाठन का कार्य ठप करते हुए हड़ताल पर हैं. वहीं सरकार द्वारा उन्हें बार-बार काम पर लौटने और शिक्षण कार्य को बाधित नहीं किये जाने की बात करते हुए कार्रावाई किये जाने बात की जा रही है. बावजूद इसके शिक्षक मानने को तैयार नहीं हैं.
इस तरह से एक तरफ जहां शिक्षक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार भी शिक्षकों की मांग पूरी करने को इच्छुक नजर नहीं आ रही है. शिक्षक अपनी सात सूत्री मांगों के समर्थन में डटे हुए हैं. पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान की मांग कर रहे हैं.
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के राज्य संयोजक ब्रजनंदन शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार हठधर्मिता अपना रही है. इससे हड़ताल लंबी चल रही है. 15 दिनों से प्रदेश के 76 हजार स्कूलों में ताले लटके हुए हैं. शिक्षकों का कहना है कि उन्हें समान काम के बदले समान वेतन समेत अन्य लाभ जल्द से जल्द दिया जाए. सरकार की उदासीनता एवं शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ राज्यभर के शिक्षक 5 मार्च को आक्रोश मार्च निकालेंगे. शिक्षकों का कहना है कि सरकार को समन्वय से काम लेना चाहिए और तानाशाही का रवैया छोड़कर बच्चों के हित में निर्णय लेना चाहिए.
आक्रोश मार्च के बाद छह मार्च को प्राथमिक शिक्षक संघ भवन में समन्वय समिति की बैठक होगी. वहीं, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार नाथ पांडेय एवं महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार को राजधर्म का पालन करना चाहिए. दूसरी ओर वित्तरहित अनुदानित शिक्षक-कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने सरकार से अनुदान के बदले वेतनमान की मांग की है. तो वहीं, दूसरी तरफ विधानमंडल के बजट सत्र ने शिक्षकों की हड़ताल को मुख्य मुद्दा बना लिया है और लगातार सरकार पर हमलावर है. विपक्ष की मांग है कि शिक्षकों की मांग जायज है और सरकार को उनकी मांग पूरी करनी चाहिए.
बिहार विधानपरिषद में आज एक बार फिर से नियोजित शिक्षकों का मसला उठा. भाजपा विधानपार्षद नवल किशोर यादव ने शून्यकाल में सदन को बताया कि सरकारी सिस्टम की तरफ से नियोजित शिक्षकों को काम पर वापस आने के लिए धमकाया जा रहा है. भाजपा विधानपार्षद ने सदन में कहा कि बिहार सरकार के अधिकारी हड़ताल खत्म कराने को लेकर तरह-तरह के हथकंडा अपना रहे हैं. शून्यकाल में प्रश्न उठाते हुए नवल किशोर यादव ने कहा कि हड़ताल खत्म करने के लिए शिक्षकों को धमकाना अच्छी बात नहीं.
उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में संज्ञान ले. उन्होंने कहा कि सबसे पहले सरकार नियोजित शिक्षकों की मांग पर विचार करते हुए वार्ता करे. शिक्षकों की हड़ताल का हीं असर है कि वित्त रहित शिक्षण संस्तान के शिक्षक भी उनके साथ आ गए हैं. चूंकि उन्हें भी अनुदान नहीं दिया जा रहा है.
भाजपा विधानपार्षद ने शिक्षकों पर लगातार दर्ज की जा रही प्रथमिकी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह किसी समस्या का समाधान नहीं है. यहां बता दें कि बिहार बोर्ड की इंटर की परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य चल रहा है तो वहीं पांच फरवरी से मैट्रिक की परीक्षा की कॉपियों का भी मूल्यांकन कार्य होने वाला है. शिक्षकों की हड़ताल से मूल्यांकन कार्य प्रभावित हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार ने मूल्यांकन कार्य में सेवा नहीं देनेवाले शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई भी शुरू कर दी है.