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बिहार के सीमांचल में मुकाबला हुआ रोचक, किशनगंज के संसदीय इतिहास में जीत सका केवल एक बार हिंदू उम्मीदवार

By एस पी सिन्हा | Updated: April 24, 2024 19:28 IST

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बिहार सीमांचल के तीन सीटों किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया का मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प होता दिख रहा है। हालांकि किशनगंज और पूर्णिया में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

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ठळक मुद्दे किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया का मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प किशनगंज के संसदीय इतिहास में जीत सका केवल एक बार हिंदू उम्मीदवार इस बार भी सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बिहार सीमांचल के तीन सीटों किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया का मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प होता दिख रहा है। हालांकि किशनगंज और पूर्णिया में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। सीमांचल में ही विपक्ष को पिछले लोकसभा चुनाव में एकमात्र सीट किशनगंज में ही जीत का स्वाद चखने को मिला था। इस बार भी सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है। अल्पसंख्यक बाहुल्य सीट किशनगंज के इतिहास में अब तक केवल एक बार ही हिंदू उम्मीदवार की जीत हुई है। इस सीट पर लगातार अल्पसंख्यक उम्मीदवार ही जीते हैं।

लखन लाल कपूर ने एक बार इस सीट पर 1967 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। उसके बाद अलग-अलग दलों के अल्पसंख्यक उम्मीदवार ही यहां से जीते। इस बार लोकसभा चुनाव किशनगंज सीट पर तीन उम्मीदवारों के बीच इस बार भी कड़ी टक्कर की स्थिति दिख रही है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद जावेद, जदयू के प्रत्याशी मास्टर मुजाहिद और एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान के बीच लड़ाई की स्थिति बनी है। 

पिछले चुनाव में भी जदयू, कांग्रेस और एआईएमआईएम प्रत्याशी के बीच टक्कर हुई थी और कांग्रेस ने इस सीट पर बाजी मारी थी। किशनगंज में 60 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक मतदाता हैं। सभी दलों के नेता अल्पसंख्यक मतदाताओं को गोलबंद करने में जुटे हुए हैं। वहीं, पूर्णिया सीट इस बार बिहार की सबसे हॉट सीट बन गई है। इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव ने इस सीट पर संघर्ष को बेहद रोमांचक बना दिया है। पूर्णिया सीट में मुख्य मुकाबला आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती, जदयू के सीटिंग सांसद संतोष कुशवाहा और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच है। 

पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनका आरोप है कि तेजस्वी यादव ने इस सीट पर जान बूझकर बीमा भारती को मैदान में उतारकर उनकी राजनैतिक हत्या करने की कोशिश की है। इसके बाद वो पहले तो बेहद भावुक हुए फिर पूरी आक्रामकता के साथ मैदान में हैं और अपनी लड़ाई एनडीए से बताते हैं। वहीं, तेजस्वी यादव ने भी इस सीट को अपने पाले में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इसका बड़ा उदाहरण ऐसे में समझा जा सकता है जब उन्होंने कहा था कि या तो वोट एनडीए को दे दीजिए या महागठबंधन को दीजिए, लेकिन किसी और को नहीं। 

उधर, कटिहार में मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है। कांग्रेस ने यहां से अपने दिग्गज नेता तारिक अनवर को मैदान में उतारा है। वहीं, जदयू सांसद दुलालचंद गोस्वामी उन्हें कडी टक्कर दे रहे हैं। कटिहार भी अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाका माना जाता है और यहां की आबादी में लगभग 41 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं और लगभग 59 प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या है। जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो महागठबंधन का पलड़ा भारी दिख रहा है, क्योंकि कटिहार में लगभग 11 प्रतिशत के आसपास यादव मतदाता हैं। बाजी किसके हाथ में जाएगी ये फिलहाल कोई भी साफ-साफ बताने के हालात में नहीं है। लेकिन, दावा दोनों तरफ से किया जा रहा है कि जीत उन्हीं की होगी। 

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