Bihar School News: स्कूल में जंक फूड बैन?, कोबो टूल्स एक्टिव, हेडमास्टर और शिक्षक पर भी होगा एक्शन, जानिए कैसे करेगा काम

By एस पी सिन्हा | Updated: February 15, 2025 18:31 IST2025-02-15T18:30:15+5:302025-02-15T18:31:07+5:30

Bihar School News: अधिकारी भी देख सकेंगे। स्कूल के 50 मीटर के दायरे में जंक फूड की बिक्री पर भी नजर रखी जाएगी।

Bihar School News Junk food ban in school Kobo tools active action taken against headmaster and teacher also know how it will work | Bihar School News: स्कूल में जंक फूड बैन?, कोबो टूल्स एक्टिव, हेडमास्टर और शिक्षक पर भी होगा एक्शन, जानिए कैसे करेगा काम

सांकेतिक फोटो

Highlightsयह भी देखा जाएगा कि कितने बच्चे स्कूल में जंक फूड लेकर आ रहे हैं।विद्यालय निरीक्षण के दौरान मध्याह्न भोजन की जांच इसी नए तरीके से होगी।बच्चों के भोजन की गुणवत्ता और पोषण का त्वरित मूल्यांकन किया जाएगा।

Bihar School News: बिहार में शिक्षा विभाग ने एक ऐसा टूल बनाया है, जिससे अगर कोई छात्र अपने टिफिन में जंक फूड लाया होगा तो इसकी जानकारी अधिकारियों को मिल जाएगी। इसके साथ ही विद्यालय में मिलने वाली मध्याह्न भोजन पर भी टूल्स के जरिए नजर रखी जाएगी। मिड डे मिल के गुणवत्ता की जांच होगी। ऐसे में अब छात्र जंक फूड लेकर विद्यालय नहीं जा पाएंगे। यही नहीं स्कूल के 50 मीटर के दायरे में कोई जंक फूड की बिक्री भी नहीं की जा सकेगी। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने बड़ा आदेश जारी किया है। जानकारी अनुसार कोबो टूल्स की मदद से यह जांच होगी कि बच्चों के टिफिन में जंक फूड तो नहीं है। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि कितने बच्चे स्कूल में जंक फूड लेकर आ रहे हैं। विद्यालय निरीक्षण के दौरान मध्याह्न भोजन की जांच इसी नए तरीके से होगी।

जिसे राज्य स्तर पर अधिकारी भी देख सकेंगे। साथ ही स्कूल के 50 मीटर के दायरे में जंक फूड की बिक्री पर भी नजर रखी जाएगी। दरअसल, शिक्षा विभाग और यूनिसेफ ने मिलकर कोबो टूल्स को विकसित किया है। टूल्स का लिंक सभी जिलों को उपलब्ध कराया गया है, जिसके माध्यम से बच्चों के भोजन की गुणवत्ता और पोषण का त्वरित मूल्यांकन किया जाएगा।

हर दिन जिलों में किए गए मूल्यांकन की मासिक और त्रैमासिक रिपोर्ट जारी की जाएगी। इसमें जिलों की रैंकिंग भी शामिल होगी, जिससे यह पता चलेगा कि कहां पोषण मानकों का पालन हो रहा है और कहां सुधार की जरूरत है। कोबो टूल्स के जरिए अब मध्याह्न भोजन के स्वाद का भी मूल्यांकन किया जाएगा। स्वाद कैसा था, इसकी जानकारी टूल्स में अपलोड की जाएगी।

साथ ही पोषण वाटिका के निर्माण और रसोइयों की सफाई की भी रिपोर्ट देनी होगी। मध्यान्ह भोजन योजना के निदेशक ने इस संबंध में सभी जिलों को निर्देश जारी किया है। निदेशक के अनुसार, इसका मकसद बच्चों को कुपोषण से बचाकर उन्हें गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना है। कोबो टूल्स के जरिए यह भी देखा जाएगा कि बच्चे जंक फूड का कितना इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसके अलावा, यह भी पता लगाया जाएगा कि स्कूलों के बाहर जंक फूड की बिक्री हो रही है या नहीं, क्योंकि विभाग ने स्कूल परिसरों के आसपास जंक फूड पर रोक लगा रखी है। निदेशक ने निर्देश दिया है कि सिर्फ निरीक्षण करने वाले अधिकारी ही नहीं, बल्कि प्रधानाध्यापक भी हर दिन लिंक पर डाटा अपलोड करेंगे। इसमें भोजन पकाने की तैयारी से लेकर परोसने की प्रक्रिया तक का विवरण देना होगा।

उदाहरण के लिए, यह बताना होगा कि चावल धोने के समय कितना रगड़ा गया या दाल और चावल को पकाने से दो घंटे पहले भिगोया गया या नहीं? बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाने वाली पोषण संबंधी गोलियों की जानकारी भी कोबो टूल्स में अपडेट करनी होगी, जिससे बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य पर बेहतर निगरानी रखी जा सके।

Web Title: Bihar School News Junk food ban in school Kobo tools active action taken against headmaster and teacher also know how it will work

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