Bihar Rajya Sabha Election 2024: बिहार से राज्यसभा जाएंगे तावड़े!, उपमुख्यमंत्री चौधरी ने कहा- दो प्रत्याशी उतारेंगे और जीतेंगे, जानें किसके पास कितने विधायक
By एस पी सिन्हा | Published: February 8, 2024 06:13 PM2024-02-08T18:13:07+5:302024-02-08T18:43:48+5:30
Bihar Rajya Sabha Election 2024: भाजपा के आक्रामक रुख को लेकर जदूय के सूत्र फिलहाल मौन हैं और मुख्यमंत्री नीतीश के इशारे की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
Bihar Rajya Sabha Election 2024: बिहार में राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होते ही दलों के द्वारा उम्मीदवारों को लेकर मंथन शुरू हो गया है। लेकिन कौन दल किसको अपना उम्मीदवार बनाएंगे इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। इस बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी अपने बेहतर संख्या बल को देखते हुए इस बार दो उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। जबकि सहयोगी जदयू को एक सीट जीतने में मदद करेगी। बता दें कि वर्ष 2018 के पिछले द्विवार्षिक चुनाव में जदयू को दो सीट मिली थी। वहीं, भाजपा को एक सीट मिली थी। भाजपा के आक्रामक रुख को लेकर जदूय के सूत्र फिलहाल मौन हैं और मुख्यमंत्री नीतीश के इशारे की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
भाजपा खेमे में सभी की निगाहें सुशील कुमार मोदी पर टिकी हैं। उन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई सीट से राज्यसभा में भेजा गया था। इसके साथ ही चर्चा है कि भाजपा अपने प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े को भी राज्यसभा में भेज सकती है। वहीं, जदयू में संजय झा को राज्यसभा में भेजे जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
हालांकि अनिल हेगड़े भी एक भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। पिछले साल महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनको उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। उधर राजद की ओर से असफाक करीम को भी राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा है। उसका कारण यह है कि उनमें धन जुटाने की क्षमता है।
करीम अपने गृह जिले कटिहार में एक निजी विश्वविद्यालय और एक मेडिकल कॉलेज चलाते हैं। जबकि दूसरी सीट पर मनोज झा को फिर से भेजा जा सकता है। उसका कारण यह है कि झा ने संसद में पार्टी के सबसे मुखर वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वहीं, राजद का समर्थन कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होगा।
हालांकि कांग्रेस के पास अपने किसी भी सदस्य को राज्यसभा के लिए निर्वाचित कराने के लिए पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं हैं। अखिलेश प्रसाद सिंह को कांग्रेस में लालू प्रसाद का सबसे भरोसेमंद व्यक्ति माना जाता है। अखिलेश वर्ष 2010 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
सिंह ने यूपीए की सरकार में राजद कोटे से मंत्री पद संभाला था। इस बीच भाकपा-माले ने भी राज्यसभा में जाने की इच्छा जताई है। ऐसे में संभव है कि भाकपा-माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है। अगर माले अपना उम्मीदवार उतारती है तो कांग्रेस के लिए मुसीबत खडा हो सकता है।