ललन सिंह के जाल में फंसे सीएम नीतीश कुमार, क्या जदयू के अस्तित्व पर है खतरा?
By एस पी सिन्हा | Published: January 28, 2023 05:35 PM2023-01-28T17:35:54+5:302023-01-28T17:35:54+5:30
जानकारों की मानें तो जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने ऐसा सियासी चक्रव्यूह बनाया है कि नीतीश कुमार को अब कुछ समझ में नही आ रहा है।

फाइल फोटो
पटना: बिहार में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा खोले गये मोर्चे के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब चौतरफा घिर गये हैं। नीतीश कुमार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बनाये जाल में बुरी तरह से फंस गये हैं। एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन में आने के बाद नीतीश कुमार खुद को और ज्यादा ही असहज महसूस करने लगे हैं। एनडीए से अलग होते वक्त उन्होंने इस बात की कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि यहां उन्हें ज्यादा ही जलील होना पडे़गा। अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा लगाए आरोपों का सीएम नीतीश को सामना करना पड़ रहा है।
जानकारों की मानें तो जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने ऐसा सियासी चक्रव्यूह बनाया है कि नीतीश कुमार को अब कुछ समझ में नही आ रहा है। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार ने एक बार फिर से एनडीए का दामन थामने की रणनीति बनाई थी, लेकिन वह अब लगभग फेल हो गया है। भाजपा नीतीश कुमार को मनमुताबिक जगह देने को तैयार नहीं है।
उधर, महागठबंधन में जलालत झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसबीच रही-सही कसर को उपेन्द्र कुशवाहा ने निकालना शुरू कर दिया है। ऐसे में नीतीश कुमार के सामने आगे खाई और पीछे कुआं की स्थिती उत्पन्न हो गई है।
जानकारों की मानें तो देर-सवेर नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव को सत्ता सौंपनी ही पडे़गी। इसके पीछे कारण यह है कि अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि बिहार में बजट सत्र के बाद सत्ता का हस्तांतरण हो जायेगा। अब राजद और ज्यादा दिन यह बर्दास्त करने की स्थिती में नहीं है।
शायद यही कारण है कि उपेन्द्र कुशवाहा ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि सत्ता समीकरण बदलते वक्त राजद के साथ क्या डीले हुई थी, इसका खुलासा किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह साफ है कि राजद के साथ आने से पहले कोई ना कोई डील जरूर हुई होगी, जिसकी चर्चा सियासी गलियारे में की जा रही है।
जानकारों की मानें तो केन्द्र में आरसीपी सिंह को मंत्री बनाये जाने से अंदर से दुखी ललन सिंह ने नीतीश कुमार से बदला लेने की ठानी थी। इसी कड़ी में अब ललन सिंह ने ऐसा सियासी चक्रव्यूह रचा है कि जदयू के अस्तित्व पर ही संकट का बादल मंडराने लगा है। इसका पता चलते ही उपेन्द्र कुशवाहा ने मोर्चा खोल दिया है, लेकिन ललन सिंह के बनाये चक्रव्यूह में फंसे नीतीश कुमार की स्थिती सांप-छुछूंदर वाली हो गई है। उनको न निगलते बन रहा है और न ही उगलते।
ऐसे में अब बिहार में कौन सा सियासी समीकरण बनेगा इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। वहीं, तेजस्वी यादव को सत्ता सौंपने के बाद नीतीश के सामने वनवास के अलावा कोई और चारा नहीं बचेगा।