Bihar Politics: 23 सितंबर को सीमांचल दौरे पर अमित शाह, बिहार में मिशन-2024 का आगाज करेंगे, नीतीश और तेजस्वी करेंगे पलटवार
By एस पी सिन्हा | Published: September 21, 2022 05:07 PM2022-09-21T17:07:55+5:302022-09-21T17:09:08+5:30
Bihar Politics: सीमांचल में बिहार के किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया चार लोकसभा क्षेत्र सहित पश्चिम बंगाल में कूच बिहार, अलीपुर द्वार, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, दिनाजपुर, मालदा के इलाकों को जोड़कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का मुद्दा भी आने वाले दिनों में उठता दिख सकता है।
पटनाः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 23 सितंबर को सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। बिहार में हाल में हुए सियासी उलटफेर के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सीमांचल के रास्ते ही अमित शाह पूरे बिहार में मिशन-2024 का आगाज करेंगे।
भाजपा सीमांचल में सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा दमदार तरीके से उठा सकती है। सीमांचल में बिहार के किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया चार लोकसभा क्षेत्र सहित पश्चिम बंगाल में कूच बिहार, अलीपुर द्वार, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, दिनाजपुर, मालदा के इलाकों को जोड़कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का मुद्दा भी आने वाले दिनों में उठता दिख सकता है।
जानकारों के अनुसार यह एक प्रकार से बिहार से पश्चिम बंगाल तक के इस सीमाई और संवेदनशील इलाके को अलग तरीके से पेश कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश भी हो सकती है। अब तक अल्पसंख्यक समुदाय को राजद और जदयू का परमपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है।
इसलिए अमित शाह सबसे पहले इस क्षेत्र से राजनीतिक रणभेरी बजाकर नीतीश और तेजस्वी यादव को कमजोर करने का बड़ा संदेश देना चाहते हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में 40 में से 39 लोकसभा की सीटों पर जीत हासिल की थी। जिसमें 16 सीटें जदयू के खाते में रहीं। भाजपा एक बार फिर से वही करिश्मा दोहराना चाहती है।
वहीं नीतीश और तेजस्वी पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि 2024 के लोकसभा में बिहार में भाजपा को खाता खोलना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा इस चुनौती को अभी से महसूस कर रही है। अमित शाह के इस दौरे से हिंदू मतदाताओं की गोलबंदी की दिशा में भी एक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
सीमांचल के दौरे के दौरान अमित शाह और भाजपा नेताओ की बयानबाजी को देखना बेहद खास होगा कि वे क्या बोलते हैं? भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार में मिशन 35 का टारगेट रखा है। अब नीतीश कुमार के बगैर जब भाजपा मैदान में उतरेगी तो भाजपा ने भी अपनी तैयारी उस ओर शुरू कर दी है।
सीमांचल की बात करें तो यह अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र है। जहां राजद के ’एम-वाइ’ समीकरण के कारण इसे महागठबंधन का गढ़ माना जाता है। सीमांचल में 40 से 70 फीसदी अल्पसंख्यक आबादी है। किशनगंज में 68 प्रतिशत, कटिहार में 45 प्रतिशत तो अररिया और पूर्णिया में 35 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता हैं।
लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि यहां अब महागठबंधन भी खुद को मजबूत ही करने में लगा है। पहले वाली मजबूती अब यहां उनकी भी नहीं रही कारण कि पिछली बार ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने राजद के वोट बैंक में सेंधमारी कर काफी नुकसान पहुंचा दिया था। ऐसे में इसबार एकओर जहां हिंदू मतदाताओं की गोलबंदी का प्रयास होगा तो अल्पसंख्यक वोट में सेंधमारी का भी डर बना रहेगा।