बिहार में कोरोना के साथ बाढ़ से सभी बेहाल, मिटाई जानवरों और आदमी के बीच की दूरी, सभी एक ही तीरपाल के नीचे
By एस पी सिन्हा | Published: July 22, 2020 09:17 PM2020-07-22T21:17:45+5:302020-07-22T21:17:45+5:30
आठ जिलों के 38 प्रखंडों की 217 पंचायतों की चार लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हो चुकी है. नेपाल में भारी वर्षा के कारण वाल्मीकिनगर में गंडक बराज से रिकॉर्ड 4.20 लाख घनसेक और वीरपुर में कोसी बराज से 3.20 लाख घनसेक पानी छोड़ा गया है.
पटनाः नेपाल और बिहार की नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में भी लगातार हो रही बारिश की वजह से राज्य में बाढ़ का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. उत्तर और पूर्वी बिहार के गंडक और कोसी प्रभावित क्षेत्रों के निचले इलाके में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है.
प्रदेश के आठ जिलों के 38 प्रखंडों की 217 पंचायतों की चार लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हो चुकी है. नेपाल में भारी वर्षा के कारण वाल्मीकिनगर में गंडक बराज से रिकॉर्ड 4.20 लाख घनसेक और वीरपुर में कोसी बराज से 3.20 लाख घनसेक पानी छोड़ा गया है. इससे उत्तर और पूर्वी बिहार के गंडक और कोसी प्रभावित क्षेत्रों के निचले इलाके में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है.
राज्य के उत्तर बिहार में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं
राज्य के उत्तर बिहार में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. दरभंगा जिले में नाव की व्यवस्था नहीं होने से आम लोगों के अलावा बीमार, गर्भवती महिला समेत मरीजों को अस्पताल ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
बाढ़ से पूरी तरह घिरे असराहा गांव के कब्रिस्तान टोला में अब्दुल बारीक के 30 वर्षीया दिव्यांग पुत्री रुखसाना खातून को सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. परिजनों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? पिता अब्दुल बारिक व मां तनीजा खातून ने इसकी जानकारी टोल के युवकों को दी.
नाव की व्यवस्था नहीं रहने से स्थानीय युवा ट्रक के ट्यूब पर तख्ता रखकर प्रसव पीड़ा से कराहती तनीजा व उसकी मां को बिठाकर जुगार टेक्नोलॉजी से मुख्य सड़क तक पहुंचे. बताया जाता है रुकसाना खातून दिव्यांग है. उसका बायां पैर तथा दाहिना हाथ कटा हुआ है.
गांव के मुख्य सड़क पर खड़ी होकर मदद की गुहार लगा रही थी
घर वापस जाने के लिए फिर गांव के मुख्य सड़क पर खड़ी होकर मदद की गुहार लगा रही थी. यही नहीं बाढ़ प्रभावित इलाकों में जल प्रलय ने मनुष्य व जानवरों का भेद खत्म कर दिया है. एक ही तिरपाल के नीचे मवेशी के साथ बाढ़ पीड़ित आराम करते नजर आते हैं.
आश्चर्यजनक यह है कि इन सभी परिस्थितियों से स्थानीय प्रशासन अनभिज्ञ बना है. बाढ़ पीड़ितों की समस्या को सुनने व उससे निजात दिलाने की दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम न तो प्रशासन द्वारा उठाया गया है और न किसी जनप्रतिनिधि द्वारा. इसके चलते बाढ़ पीड़ितों में काफी क्षोभ है.
जल संसाधन विभाग के इंजीनियर तटबंधों पर लगातार चौकसी बरत रहे हैं
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जल संसाधन विभाग के इंजीनियर तटबंधों पर लगातार चौकसी बरत रहे हैं. जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल की सरकार ने गंगा का पानी निकालने के लिए फरक्का बांध के कुछ गेट खोल दिए हैं.
केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा नदी फरक्का में लाल निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई है. वैसे बिहार में बक्सर से कहलगांव तक गंगा अभी लाल निशान के नीचे बह रही है. फरक्का में गेट खोलने से गंगा का जलस्तर बिहार में और नीचे जाने का अनुमान है.
आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि उत्तर बिहार के आठ जिलों की 190 पंचायतों के साढे तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि उत्तर बिहार के आठ जिलों में 190 पंचायतों के 3.5 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.
चंपारण, तिरहुत और मिथिलांचल के इलाकों में बाढ़-कटाव का संकट और गहरा गया
उत्तर बिहार के चंपारण, तिरहुत और मिथिलांचल के इलाकों में बाढ़-कटाव का संकट और गहरा गया. गंडक में रिकॉर्ड वाटर डिस्चार्ज के बाद गंडक दियारावर्ती इलाकों में बेकाबू होने लगी है. बागमती, बूढी गंडक, लखनदेई, मनुषमारा के साथ साथ अधवारा समूह की नदियां भी तबाही मचा रही हैं. नए इलाकों में पानी प्रवेश करने का सिलसिला जारी है.
उधर, कोसी बराज से भी लगातार पानी का डिस्चार्ज बढने के बाद तटबंध के अंदर बसे गांवों में अफरातफरी मच गई है. राज्य में बाढ़ का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. बाढ़ से निबटने के लिए 9वीं वाहिनी, एनडीआरएफ बिहटा, पटना की 16 टीमों को 11 जिलों में तैनात किया गया है.
कमाडेंट विजय सिन्हा ने बताया कि राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की मांग पर गोपालगंज में तीन, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण व सारण में दो-दो और कटिहार, अररिया, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर व मधुबनी एक-एक टीमें तैनात की गई हैं.
सभी टीमें अत्याधुनिक बाढ़ बचाव उपकरण, कटिंग टूल्स व उपकरण, संचार उपकरण, मेडिकल फर्स्ट रेस्पांडर किट, डीप डाइविंग सेट, इनफ्लैटेबल लाइटिंग टावर आदि से लैस हैं. टीमों में कुशल गोताखोर, तैराक और मेडिकल स्टाफ मौजूद हैं.