बिहार में शराबबंदी, तस्करी करने वाले लोग बन रहे करोड़पति, धड़ल्ले से जारी अवैध बिक्री, राजद एमएलए सुरेंद्र प्रसाद यादव के भाई की संपत्ति जब्त

By एस पी सिन्हा | Published: January 14, 2021 03:00 PM2021-01-14T15:00:59+5:302021-01-14T20:02:58+5:30

बिहार में विगत 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. तब से लगभग 5 साल का समय गुजर चुका है. शासन और प्रशासन दोनों के लिए अब एक बड़ी चुनौती बन गई है.

Bihar patna cm nitish kumar Liquor ban smugglers millionaires illegal sale property RJD MLA Surendra Prasad Yadav's brother  | बिहार में शराबबंदी, तस्करी करने वाले लोग बन रहे करोड़पति, धड़ल्ले से जारी अवैध बिक्री, राजद एमएलए सुरेंद्र प्रसाद यादव के भाई की संपत्ति जब्त

शराब कारोबार में काफी सक्रियता दिखायी है. इनमें कई जेल में हैं, जबकि कई फरार चल रहे हैं. (file photo)

Highlightsअनगिनत करोड़पतियों की कलई धीरे-धीरे खुलने लगी है.शराबबंदी के दौरान शराब बेचकर अकूत संपत्ति के मालिक हो गये. शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद करीब डेढ़ दर्जन धंधेबाजों की जानकारी सामने आई है.

पटनाः बिहार में नीतीश सरकार शराबबंदी का राग अलापती रही और शराबबंदी की आड़ में इसकी तस्करी करने वाले लोग करोड़पति होते गये.

ऐसे अनगिनत करोड़पतियों की कलई धीरे-धीरे खुलने लगी है, जो शराबबंदी के दौरान शराब बेचकर अकूत संपत्ति के मालिक हो गये. राज्य में शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद करीब डेढ़ दर्जन धंधेबाजों की जानकारी सामने आई है ,जिसने शराब कारोबार में काफी सक्रियता दिखायी है. इनमें कई जेल में हैं, जबकि कई फरार चल रहे हैं.

इनके खिलाफ पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट) के तहत कार्रवाई करने के लिए इडी को प्रस्ताव भेजा गया है. वहीं, खगड़िया जिले से एक और भी रोचक जानकारी सामने आई है, जिसमें पुलिस के नाक के नीचे मां बेटे सालों से शराब का धंधा कर रहे थे. इस दौरान शराब बेचकर दोनों ने करोड़ों रुपए की संपत्ति खड़ी कर ली और पुलिस को उनके काम की भनक तक नहीं लगी.

मोबाइल दुकान के नाम पर शराब की धंधा धड़ल्ले से हो रही थी

पुलिस को जानकारी तब हुई जब किसी ने गुप्त रूप से इसकी सूचना दी. जब पुलिस ने इन मां बेटों को गिरफ्तार किया तो वह भी उनके काम करने के तरीके को जानकार हैरान रह गई. बताया जाता है कि बेटा दिल्ली में रहकर खगड़िया अपने मां के घर शराब भेजता था. यह कारोबार काफी दिनों से चल रहा था. मोबाइल दुकान के नाम पर शराब की धंधा धड़ल्ले से हो रही थी.

नगर पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर की गई कार्रवाई मां बेटा गिरफ्तारी के साथ भारी मात्रा में विदेशी बोतल भी बरामद की है. बताया जा रहा है कि मां बेटे ने मिलकर शराब के धंधे से ही काली कमाई से जिले के खगड़िया शहर और हाजीपुर समेत कई जगहों पर करोड़ों का अवैध संपत्ति खरीद लिया है. कई ऐसे मकान हैं, जिसे देखकर सभी की आंखें चौंधिया जा रही हैं.

नीतीश कुमार शराबबंदी कानून बिहार में कितना सफल है? 

ऐसी मामलों से ही प्रतीत होता है कि नीतीश कुमार शराबबंदी कानून बिहार में कितना सफल है? प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार सरकार की तरफ से आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने शराब के अवैध कारोबार में संलिप्त करीब 18 धंधेबाजों की अवैध संपत्ति को जब्त करने के लिए सूची इडी को भेज दी है. इन धंधेबाजों की 15 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. राज्य सरकार ने इन धंधेबाजों की अवैध संपत्ति का पता लगाकर इसे जब्त करने की पहल की है.

इडी की अंतिम स्तर पर होने वाली छानबीन में इनकी अवैध संपत्ति में बढ़ोतरी भी हो सकती है. हालांकि, पीएमएलए में अवैध शराब के कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई सीधा प्रावधान नहीं है, लेकिन इससे संबंधित अन्य मामलों मसलन आइपीसी, आर्म्स एक्ट, एनडीपीएस (नॉरकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांस) एक्ट, यूएपीए (अनलॉफूल एक्टिविजिट्ज प्रीवेंशन एक्ट), पीसी (प्रीवेंशन ऑफ करप्शन) एक्ट समेत अन्य बेहद संवेदनशील अपराधों में पीएमएलए के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान है. ऐसे में शराब के धंधेबाजों पर इन मामलों में आसानी से कार्रवाई हो जाती है.

इडी ने पीएमएलए के तहत कार्रवाई कर चुका है

शराब का अवैध कारोबार करने वाले दो धंधेबाजों पर अब तक इडी ने पीएमएलए के तहत कार्रवाई कर चुका है. इनमें भोजपुर के संजय प्रताप सिंह की 1.31 करोड़ और गया के राजकुमार यादव उर्फ मंटू यादव की 9.26 करोड़ की अवैध संपत्ति की जब्ती शामिल है. मंटू यादव गया के बेलागंज से राजद विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव के भाई हैं. वर्तमान में जिन 18 धंधेबाजों की सूची गई है, उनमें दो हरियाणा के रहने वाले हैं और यहां लगातार सप्लाई का काम करते थे.

इसके साथ ही मुंगेर के किशोर यादव उर्फ किशोर पहलवान की 2.48 करोड़, भोजपुर के त्रेता सवालिया की 2.53 करोड़, कोडरमा के संजय यादव (इसके साथ मनोज यादव एवं संदीप भदानी भी) की 23 लाख, सहरसा के अशोक यादव की 54 लाख, हरियाणा के जितेंद्र नागर की 19 लाख व रवींद्र की 33 लाख, सहरसा के मो इकरामुल की 33 लाख की संपत्ति शामिल है.

साथ ही पटना के चंदन कुमार की एक करोड़ 48 लाख, सीवान के अनिरुद्ध सिंह की 53 लाख, पटना के मोहित जैन की 58 लाख, मुजफ्फरपुर के सुधीर मंडल की 25 लाख व जुगनू ओझा की 42 लाख, भोजपुर के योगेंद्र प्रसाद गुप्ता की तीन करोड़ चार लाख, बेगूसराय के भोला महतो की 85 लाख, सीतामढ़ी के केशव झा की 31 लाख, बेगूसराय के मुन्ना सिंह की 84 लाख और समस्तीपुर के मुकेश सहनी की संपत्ति शामिल है.

बिहार में विगत 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है

यहां उल्लेखनीय है कि बिहार में विगत 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. तब से लगभग 5 साल का समय गुजर चुका है. लेकिन इन 5 सालों में शराब बनाने की चूल्हे की आग अब राज्य के गांव-गांव तक सुलग चुकी है. अब इस चुल्हे की आग बुझाना शासन और प्रशासन दोनों के लिए अब एक बड़ी चुनौती बन गई है.

हकीकत यह है कि अब राज्य के लगभग हर गांव के अधिकतर घरों में शराब बनना शुरू हो गया है. बीते 5 साल के दौरान भागीरथ प्रयास के बावजूद भी शराब बनाने व तस्करी करने का धंधा थमने के बजाय और तेजी से बढ़ रहा है.

इधर बताते चलें कि लगभग 5 सालों के प्रयास के बाद भी तस्करी का धंधा नहीं थम रहा है. अब तो ऐसी स्थिति बन गई है कि गली गली में शराब तस्करों का नेटवर्क बन गया है. पूर्ण शराबबंदी के पहले कई गांव इस मामले में आदर्श माने जाते थे. लेकिन पूर्ण शराबबंदी के दौर में शायद ही कोई ऐसा गांव हो जहां कि यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि यहां शराब नहीं बनती है या फिर शराब नहीं बिकती है. 

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