बिहारः सिल्क नगरी भागलपुर में एनडीए की प्रतिष्ठा दांव पर, लग रहा दिग्गजों का जमावड़ा
By एस पी सिन्हा | Published: April 13, 2019 05:57 AM2019-04-13T05:57:42+5:302019-04-13T05:57:42+5:30
11 अप्रैल को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली भी हुई है. इससे इस बार भागलपुर लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.
पटना, 12 अप्रैलः बिहार में सिल्क नगरी के रूप में प्रसिद्ध भागलपुर लोकसभा सीट के लिए 18 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान होना है. जिसके लिए भागलपुर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. एनडीए और महागठबंधन के नेताओं ने भागलपुर सीट को पूरी तरह से प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है. दोनों तरफ से कद्दावर नेताओं ने अपनी ताकत झोंक रखी है.
11 अप्रैल को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली भी हुई है. इससे इस बार भागलपुर लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. भागलपुर के कद्दावर नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है. एनडीए के उम्मीदवार अजय मंडल को जीताने के लिए कई दिग्गज नेता दिल जान से लगे हुए हैं. ऐसे हालात में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेताओं का फायदा अजय मंडल को कितना मिल पाएगा.
सूबे के एनडीए के कद्दावर नेताओं का दौरा लगातार हो रहा है. भाजपा में ही शाहनवाज हुसैन से लगातार दूर रहने वाले अश्विनी चौबे भागलपुर पहुंच कर एनडीए उम्मीदवार अजय मंडल के लिए रणनीति तैयार करेने में लगे हैं. फिलहाल अश्विनी चौबे 2014 के लोकसभा बक्सर से भारी मतों से विजई हुए थे. अभी भी अश्विनी चौबे बक्सर से एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड रहे हैं.
वैसे भागलपुर में भाजपा की अंदरूनी कलह और जदयू से अलग होने की वजह से 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हारना पडा था. इस बार महागठबंधन के उम्मीदवार बुलो मंडल और एनडीए के उम्मीदवार अजय मंडल में कांटे की टक्कर है. जिसे लेकर अपने अपने उम्मीदवारों को विजयी बनाने को लेकर राजनीति के दिग्गज भागलपुर में अपना आशियाना बना चुके हैं.
वहीं, भागलपुर में अभी एक तबका और है जो भाजपा के कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन के टिकट नहीं मिलने की वजह से इन दिनों काफी नाराज चल रहा है. उम्मीद लगाई जा रही है कि इस चुनाव में ऐसे मतदाता इस बार कहीं नोटा में बटन नहीं दबा दें. वैसे इस बार एनडीए ने भी उम्मीदवार चुनने में जातीय समीकरण देखा और भागलपुर जैसे मंडल बाहुल लोकसभा क्षेत्र में लगातार जदयू से तीन बार विधायक रह चुके अजय मंडल को टिकट दे दिया. जिसके बाद भागलपुर की सीट पहली बार एनडीए गठबंधन से जदयू के खाते में गई है.