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Bihar MLC Election 2022: राजद, कांग्रेस और भाकपा माले में टकराव, तेजस्वी यादव का खेल खराब करेंगे विधायक, एआईएमआईएम के 5 MLA करेंगे सपोर्ट

By एस पी सिन्हा | Updated: June 2, 2022 15:37 IST

Bihar MLC Election 2022: तेजस्वी यादव ने भी दबाव बढ़ाने के लिए 'ओवैसी दांव' चलने का प्लान बना रहे हैं. कांग्रेस भाकपा, माकपा और भाकपा माले के साथ मिलकर एक सीट पर उम्मीदवार उतारने को लेकर विचार कर रही है.

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ठळक मुद्देकांग्रेस चुनाव में जीत का पूरा गणित भी बताया है. महागठबंधन के घटक दलों के वोट जब तक राजद उम्मीदवारों के पक्ष में नहीं गिरेगा, तीनों उम्मीदवारों की जीत पक्की नहीं होगी.एक सीट पर जीत के लिए कम से कम 31 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी.

Bihar MLC Election 2022: बिहार में विधान परिषद चुनाव से पहले महागठबंधन में एक बार फिर कलह खुलकर सामने है. विधान परिषद चुनाव को लेकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद को कांग्रेस झटका देने के मूड में दिख रही है. राजद ने कांग्रेस और वामपंथी दलों से पूछे बिना तीन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया.

इससे आहत कांग्रेस ने वामपंथी दलों के सहयोग से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. ऐसे में कहा जा रहा है कि महागठबंधन एकजुट नहीं रहा तो चुनाव की नौबत आने पर राजद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हालांकि तेजस्वी यादव ने भी दबाव बढ़ाने के लिए 'ओवैसी दांव' चलने का प्लान बना रहे हैं.

जिसके बाद अब कांग्रेस भाकपा, माकपा और भाकपा माले के साथ मिलकर एक सीट पर उम्मीदवार उतारने को लेकर विचार कर रही है. इसके साथ ही कांग्रेस चुनाव में जीत का पूरा गणित भी बताया है. विधानसभा में संख्या बल के आधार पर महागठबंधन के घटक दलों के वोट जब तक राजद उम्मीदवारों के पक्ष में नहीं गिरेगा, तीनों उम्मीदवारों की जीत पक्की नहीं होगी.

इस बार के चुनाव में एक सीट पर जीत के लिए कम से कम 31 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी. विधानसभा में राजद विधायकों की संख्या 76 है. ऐसे में राजद को अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत के लिए सहयोगी दलों से 17 अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी. अब तक ऊपरी सदन के चुनाव से दूर रहे भाकपा- माले ने इस बार महागठबंधन के भीतर अपने लिए एक सीट की मांग की थी.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजद की एआईएमआईएम के साथ करीबी बढ़ रही है और इसके पीछे मुख्य वजह कांग्रेस और वाम दलों को संदेश देना है. उन्हें यह जताने की कोशिश है कि यदि उन्होंने इरादा नहीं बदला तो राजद साथी बदलने को तैयार है. अभी ओवैसी की पार्टी महागठबंधन में शामिल नहीं है. बिहार में एआईएमआईएम के 5 विधायक हैं.

जबकि भाकपा-माले के 12 सदस्य हैं. इनके अलावा भाकपा के दो और माकपा के भी दो सदस्यों की जीत हुई है. विपक्ष के अन्य दलों में कांग्रेस के 19 के पांच सदस्य भी हैं. विधान परिषद के सात मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल 21 जुलाई को समाप्त हो रहा है. इनमें राजद के एक भी सदस्य नहीं है. राजद के यदि तीनों उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल होते हैं, तो सदन में उसके सदस्यों की संख्या बढ कर 14 हो जायेगी.

फिलहाल सदन में राजद के 11 सदस्य हैं. इसतरह से महागठबंधन में फूट की वजह से अब तीसरे सीट पर पेंच फंस गया है. ओवैसी की पार्टी के पास विधायकों की इतनी संख्या नहीं कि राजद को जीत दिला सके, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि वाम दलों और कांग्रेस के कुछ विधायक भी क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं.

उधर, विधान परिषद चुनाव में बाकी की चार सीटों में दो पर भाजपा और दो पर जदयू के उम्मीदवार हो सकते हैं. दोनों दलों के बीच इस मसले पर जल्द ही तालमेल होने की गुंजाइश है. जिन सात सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें जदयू के सबसे अधिक पांच सदस्य हैं. ऐसे में जदयू अपने दो उम्मीदवार को ही इस बार विधान परिषद भेज सकने की स्थिति में है.

भाजपा के एक सदस्य अर्जुन सहनी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वहीं, कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने दावा किया है कि कांग्रेस विधान परिषद की रिक्त हुई सीटों में से एक पर भाकपा, माकपा और भाकपा-माले के साथ सहमति बनाकर एक प्रत्याशी दे सकती है. प्रत्याशी किस दल का होगा, इसका फैसला आपसी सहमत के आधार पर लिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी है कि राजद ने पहले भाकपा-माले को वादा किया था कि परिषद की एक सीट माले को दी जाएगी, लेकिन वे अब मुकर रहे हैं. यदि ऐसा होता है तो राजद से अलग महागठबंधन के जो दूसरे दल कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा-माले आपसी सहमति से एक प्रत्याशी उतारने पर विचार करेंगे.

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