कभी पेट पालने के लिए लोगों के घर झाड़ू-पोछा किया करती थीं दुलारी देवी, फिर मिथिला पेंटिंग ने दिलाई पहचान, अब राष्ट्रपति देंगे पद्म श्री सम्मान

By एस पी सिन्हा | Published: January 25, 2021 06:58 PM2021-01-25T18:58:56+5:302021-01-25T19:01:36+5:30

बिहार के मधुबनी जिले की रहने वाली दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग के लिए पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने फोन कर दुलारी को यह जानकारी दी।

bihar mithila painting artist dulari devi president of india ramnath kovind padma shri award | कभी पेट पालने के लिए लोगों के घर झाड़ू-पोछा किया करती थीं दुलारी देवी, फिर मिथिला पेंटिंग ने दिलाई पहचान, अब राष्ट्रपति देंगे पद्म श्री सम्मान

दुलारी देवी। (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

Highlights इग्नू के लिए मैथिली में तैयार किए गए आधार पाठ्यक्रम के मुखपृष्ठ के लिए भी इनकी पेंटिग चुनी गई। पटना में बिहार संग्रहालय के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुलारी देवी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया। कमला नदी की पूजा पर इनकी बनाई एक पेंटिग को जगह दी गई है।

पटना,25 जनवरी। बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव निवासी दुलारी देवी को पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। गृह मंत्रालय द्वारा इस बाबत दुलारी देवी को फोन कर सूचना दी गई है। यह तीसरा मौका है, जब मधुबनी जिले के रांटी गांव के किसी व्यक्ति को पद्य सम्मान से नावाज जाएगा। मिथिला पेंटिग की यह कलाकार पढ़ी-लिखी नहीं हैं। बड़ी मुश्किल से हस्ताक्षर और अपने गांव का नाम भर लिख लेती हैं। 

मगर, इनके कला-कौशल की चर्चा कला जगत की नामचीन पत्र-पत्रिकाओं तक में होती है। इनके मुरीदों में कई बड़े नाम शामिल हैं। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी इनमें से एक थे।  प्राप्त जानकारी के अनुसार आज गृह मंत्रालय से दुलारी देवी को पद्म श्री सम्मान के लिए फोन आया है। फोन के बाद ही गांव में जश्न का माहौल है। दुलारी देवी से पहले गांव के और दो लोगों को यह सम्मान मिल चुका है। 

54 वर्षीय दुलारी देवी की संघर्ष गाथा प्रेरणा देती है.. 

मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के रांटी गांव निवासी दुलारी मल्लाह जाति के एक अत्यंत निर्धन परिवार में जन्मीं और बचपन से ही कठिन संघर्ष का सामना करती रहीं। 12 साल की उम्र में शादी हो गई। सात साल ससुराल में बिताए। फिर छह माह की पुत्री की अचानक मौत के बाद मायके आईं और यहीं रह गईं। दुलारी के पास घरों में झाडू-पोंछा कर जीविका चलाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं था। इस तरह से दुलारी देवी का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। 

झाडू-पोंछा का काम कर पालती थीं पेट

इसी दौरान वह मशहूर और ख्यातिलब्ध कलाकार कर्पूरी देवी के घर झाडू-पोंछा का काम करने लगी। दुलारी देवी बताती हैं कि इस दौरान फुर्सत के समय में अपने घर-आंगन को माटी से पोतकर, लकडी की कूची बना कल्पनाओं को आकृति देने लगी। कर्पूरी देवी का साथ पाकर दुलारी ने मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना ली। बताया जाता है कि दुलारी देवी के पेंटिंग के मुरीद पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद भी थे। 

राज्य सरकार द्वारा हो चुकी है सम्मानित

2012-13 में राज्य सरकार द्वारा भी दुलारी देवी को सम्मानित किया जा चुका है। यहां बता दें कि दुलारी देवी अब तक सात हजार मिथिला पेंटिंग विविध विषयों पर बना चुकी हैं। गीता वुल्फ की पुस्तक 'फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश' और मार्टिन लि कॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा व कलाकृतियां सुसज्जित हैं। सतरंगी नामक पुस्तक में भी इनकी पेंटिग ने जगह पाई है। 

Web Title: bihar mithila painting artist dulari devi president of india ramnath kovind padma shri award

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