बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जातीय गणना पर उठाया सवाल, कहा- यादवों की संख्या अचानक कैसे बढ़ गई?
By एस पी सिन्हा | Published: October 4, 2023 02:48 PM2023-10-04T14:48:47+5:302023-10-04T14:49:42+5:30
मांझी ने कहा कि राज्य के एससी/एसटी, ओबीसी, ईबीसी की आबादी तो बहुत है। लेकिन उनके साथ हकमारी की जा रही है। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से आग्रह करता हूं कि राज्य में आबादी के प्रतिशत के हिसाब से सरकारी नौकरी/स्थानीय निकायों में आरक्षण लागू करें, वहीं न्याय संगत होगा।
पटना। बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद सियासत गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने जातीय गणना के आंकड़ों पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने जातीय गणना की जिस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है, उसमें बहुत सारी खामियां है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि आखिर यादवों की संख्या अचानक 4 फीसदी से 14 फीसदी कैसे हो गई?
जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट साझा किया है और लिखा है कि जिसकी जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी के तर्ज पर मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से आग्रह करता हूं कि राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्रिपरिषद का गठन करें, जिससे समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाए। दरी बिछाने वाला जमाना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा।
इसके साथ ही यादवों की बढ़ी संख्या पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि पिछली बार 1931 में जब जातीय गणना हुई थी, उस वक्त यादव जाति के लोगों की संख्या बिहार में महज 4 फीसदी से कुछ अधिक थी। लेकिन इस जातीय गणना में यादवों की संख्या 14 फीसदी से अधिक बताई जा रही है। यादव जाति के लोगों की संख्या इतनी कैसे बढ़ गई और दूसरी जातियों के लोगों की संख्या कम कैसे हो गई? यादव के सभी उपजातियों को एक साथ मिलाकर गणना कर दी गई है।
मांझी ने कहा कि कई जातियां हैं जिनका कोड एक होना चाहिए था लेकिन उसे अलग-अलग कर दिया गया है। भुईयां और मुसहर का कोड एक होना चाहिए था। सर्वदलीय बैठक में इन सब चीजों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत भी कराया है। वहीं संख्या के आधार पर सत्ता में हिस्सेदारी के सवाल पर मांझी ने कहा कि अब जब जातीय गणना हो गई है तो जिसकी जितनी संख्या है उसे उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य के एससी/एसटी, ओबीसी, ईबीसी की आबादी तो बहुत है। लेकिन उनके साथ हकमारी की जा रही है। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से आग्रह करता हूं कि राज्य में आबादी के प्रतिशत के हिसाब से सरकारी नौकरी/स्थानीय निकायों में आरक्षण लागू करें, वहीं न्याय संगत होगा।