पटना: बिहार विधानसभा में संख्याबल के हिसाब से राजद के सबसे बड़ी पार्टी बन जाने से राज्य में सियासत गर्माने लगी है. अब यह कयास लगाये जाने लगे हैं कि भविष्य में अगर नीतीश कुमार और भाजपा में थोड़ा सा भी मतभेद होता है तो दोनों के रास्ते अलग हो सकते हैं. ऐसे में राजद की बल्ले-बल्ले हो जायेगी. इस सियासी संकट के दौरान राज्यपाल को सबसे बड़ी पार्टी राजद को ही बुलाना पड़ेगा.
विधानसभा चुनाव में राजद 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. वहीं, बोचहा उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद इसकी संख्या 76 हो गई थी. अब असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी के चार विधायक के शामिल होने से राजद के विधायकों की संख्या 80 पहुंच गई है. इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने खुशी जताई है.
राबड़ी देवी ने कहा कि राजद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी हो गई है और भाजपा दो नंबर की पार्टी हो गई है. अब जनता ही मालिक है आगे जनता जो कहेगी वही हमलोग करेंगे.
बिहार की मौजूदा सरकार पर तत्काल असर नहीं
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के 5 में से 4 विधायकों ने बुधवार को पाला बदलकर राजद का दामन थाम लिया. इससे पहले विधानसभा चुनाव में 74 विधायकों की जीत के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर थी लेकिन विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीनों विधायक राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव के द्वारा पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिये जाने के बाद भाजपा 77 विधायकों के साथ नंबर एक पार्टी बन गई थी.
बहरहाल, राजद विधायकों की संख्या 80 हो जाने के बावजूद अभी तत्काल इसका असर नीतीश सरकार पर नहीं पड़ने की बात कही जा रही है. दरअसल राज्य में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी है. वहीं अभी एनडीए के पास 127 विधायक हैं. इसमें भाजपा के 77 विधायक और जदयू के 45 विधायकों को मिलकर ही विधायकों की संख्या 122 हो जाती है.
इसके अलावे जीतनराम मांझी की पार्टी हम के भी 4 विधायकों के साथ-साथ एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन नीतीश सरकार को प्राप्त है. इस हिसाब से सरकार अभी पूरी तरह से सुरक्षित है. लेकिन नीतीश कुमार का अगर मूड बदला तो राजद को फायदा मिल सकता है. राजद के 80 और नीतीश कुमार की पार्टी के 45 विधायकों के साथ संख्या बल 125 हो जाती है.
इस तरह से बगैर कांग्रेस और वामदलों के भी सरकार बनाने में कोई दिक्कत नही आयेगी. कांग्रेस विधायकों की संख्या 19 है, जबकि वामदलों के विधायकों की संख्या 16 है.
भाजपा-जदयू में दिखती रही है खटपट
बिहार एनडीए में इसवक्त सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. जदयू और भाजपा के नेता एक-दूसरे पर हमलावर हैं. कभी शिक्षा के मुद्दे पर तो कभी अग्निपथ और जनसंख्या नियंत्रण कानून पर.
दोनों पार्टियों के बीच मंगलवार को तो यह नाराजगी इतनी बढ गई थी कि मानसून सत्र के दूसरी पाली में जदयू विधायक सदन में ही नहीं गए. इसके बाद दिल्ली से आनन-फानन में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान आए और नीतीश कुमार से मुलाकात की. इसके बाद प्रेस कान्फ्रेंस कर एनडीए में सबकुछ ठीक होने की बातें कही.