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बिहार: न मिला शव वाहन, न स्ट्रैचर, बहन के शव को कंधे पर ले गया भाई

By एस पी सिन्हा | Updated: June 27, 2019 14:49 IST

करीब सात घंटे तक बहन के शव को घर ले जाने के लिए भाई ने मगध मेडिकल अस्पताल में एंबुलेंस का इंतजार किया, उसके बाद भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. इमरजेंसी से शव को एंबुलेंस तक लाने के लिए स्ट्रैचर भी नहीं दिया. नतीजन युवक अपनी बहन का शव कंधे पर लेकर अस्पताल के बाहल लगे एंबुलेंस तक गया.

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बिहार के गया से एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जहां अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज, अस्पताल में एक भाई ने अपनी बहन के शव को ले जाने के लिए घंटों शव वाहन उपलब्ध कराने की मशक्कत करता रहा, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी. हद तो तब हो गई जब युवक को अस्पताल के वार्ड से शव को बाहर ले जाने के लिए स्ट्रैचर तक नहीं दिया गया.

बताया जाता है कि करीब सात घंटे तक बहन के शव को घर ले जाने के लिए भाई ने मगध मेडिकल अस्पताल में एंबुलेंस का इंतजार किया, उसके बाद भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. इमरजेंसी से शव को एंबुलेंस तक लाने के लिए स्ट्रैचर भी नहीं दिया. नतीजन युवक अपनी बहन का शव कंधे पर लेकर अस्पताल के बाहल लगे एंबुलेंस तक गया. युवक ने बताया कि वो अपनी बहन की मौत के सात घंटे बाद तक शव वाहन के इंतजाम में लगा रहा, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी. उसे शव को ले जाने के लिए वाहन तो दूर अस्पताल से बाहर निकालने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिला. अंत में वह अपनी बहन का शव गोद में लेकर बाहर निकला और निजी एबुंलेंस से घर ले जा सका.

प्राप्त जानकारी के अनुसार गया के डुमरिया के पथरा गांव की 21 बर्षीय हेमवती कुमारी की मौत बुधवार की सुबह 10 बजे इलाज के दौरान हो गई थी. बहन की मौत के बाद मृतक के भाई राहुल ने शव को घर तक पहुंचाने के लिए अस्पताल प्रशासन से शव वाहन की मांग की, लेकिन उसे शाम 5 बजे शाम तक वाहन नहीं मिल पाया. इस बीच उसने अस्पताल अधीक्षक से मिले 102 नबंर को भी डायल किया और शव वाहन के ड्राइवर से भी मिला, लेकिन शव वाहन का ड्राइवर नशे में धुत मिला और उसने खुद को बीमार और डुमरिया को नक्सल प्रभावित क्षेत्र बताकर शव ले जाने से साफ मना कर दिया.

वहीं, जब शव वाहन के ड्राइवर के नशे में होने की सूचना अस्पताल अधीक्षक को दी गयी तो उन्होंने एबुलेंस की निगरानी करने वाले जिले के एसएमओ को सूचना देकर अपना पल्ला झाड़ लिया. जब मीडियाकर्मियों ने उनसे इस संबंध में सवाल किया तो उन्होंने एबुलेंस और शव वाहन की देखरेख सिविल सर्जन कार्यालय से होने की बात कही. मानवता को शर्मसर करने वाली इस घोर लापरवाही की सूचना मिलने के बाद डीएम ने अस्पताल अधीक्षक को पूरे मामले से अवगत कराते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है. 

यहां बता दें कि अभी दो दिन पहले हीं नालंदा जिले में एक व्यक्ति को अपनी बेटी के शव को कंधे पर ले जाना पड़ा था, जबकि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसी जिले के निवासी हैं. इसी बात यह सहज हीं अनुमान लगाया जा सकता है कि बिहार में सुशासन की दावे करने वाली सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या हाल है?

टॅग्स :बिहारपटनागयामेडिकल ट्रीटमेंट
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