बिहार चुनावः जदयू, राजद, कांग्रेस और भाजपा में बगावती तेवर?, बागियों को मनाने में जुटे नेता, बिगाड़ेंगे अंकगणित, देखिए लिस्ट

By एस पी सिन्हा | Updated: October 21, 2025 14:33 IST2025-10-21T14:31:43+5:302025-10-21T14:33:14+5:30

Bihar Elections: मोकामा में अनंत सिंह के खिलाफ उनके विरोधी गुट के कई बागी मैदान में हैं, जिससे जदयू और राजद दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

Bihar Elections Rebellious JDU, RJD, Congress and BJP Leaders busy placating rebels they spoil arithmetic See list | बिहार चुनावः जदयू, राजद, कांग्रेस और भाजपा में बगावती तेवर?, बागियों को मनाने में जुटे नेता, बिगाड़ेंगे अंकगणित, देखिए लिस्ट

सांकेतिक फोटो

Highlightsटिकट न मिलने या अंदरूनी नाराजगी के बाद अपने पुराने घर के खिलाफ ही मैदान में उतर गए हैं।बाहुबली और स्थानीय नेताओं की बगावत ने वोटों का समीकरण गड़बड़ा दिया है।बागी उम्मीदवार आम तौर पर अपने ही दल के समर्थकों के बीच सेंध लगाते हैं।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 243 सीटों पर नामांकन का काम पूरा हो गया है। लेकिन सियासी दलों में बगावती तेवर कम नहीं हो रहे। सभी दलों में ऐसे बगावती उम्मीदवार सामने आए हैं। नामांकन की प्रक्रिया खत्म होते ही कई दलों में अंदरूनी नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। इस बार असली मुकाबला सिर्फ दलों के बीच नहीं, बल्कि अपने ही लोगों से है। कई सीटों पर बागी नेताओं ने सियासत का खेल पूरी तरह पलट दिया है। ये वो नेता हैं जो कभी पार्टी की पहचान थे, लेकिन अब टिकट न मिलने या अंदरूनी नाराजगी के बाद अपने पुराने घर के खिलाफ ही मैदान में उतर गए हैं।

इन बागियों ने कई जगहों पर वोट बैंक की गणित बिगाड़ दी है। मोकामा में अनंत सिंह के खिलाफ उनके विरोधी गुट के कई बागी मैदान में हैं, जिससे जदयू और राजद दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कटिहार और सीमांचल इलाके में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। बाहुबली और स्थानीय नेताओं की बगावत ने वोटों का समीकरण गड़बड़ा दिया है।

सबसे बड़ी समस्या यह है कि बागी उम्मीदवार आम तौर पर अपने ही दल के समर्थकों के बीच सेंध लगाते हैं। इससे वोट कटाव होता है और नतीजों पर सीधा असर पड़ता है। महागठबंधन की एकजुटता पर भी असर दिख रहा है। कई जगह कार्यकर्ताओं में भ्रम है कि किसके लिए प्रचार करें और किससे दूरी बनाएं। एनडीए के कई नेताओं ने टिकट न मिलने के बाद पार्टी लाइन से हटकर मैदान संभाल लिया है।

कुछ ने निर्दलीय लड़ाई का रास्ता चुना है, तो कुछ जन सुराज जैसी नई ताकतों के सहारे चुनावी अखाड़े में उतर आए हैं। इसका नतीजा ये हुआ है कि कई सीटों पर मुकाबला अब सीधा नहीं, बल्कि त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय बन गया है। गोपालपुर से जदयू विधायक गोपाल मंडल ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। नामांकन के बाद आयोजित सभा में वो भावुक हो गए और रो पड़े।

उन्होंने कहा कि लड़ाई आर-पार की है। इसी तरह, नरकटियागंज में भाजपा विधायक रश्मि वर्मा ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। बगहा में भाजपा के पूर्व पदाधिकारी भूपनारायण यादव और दिनेश अग्रवाल ने खुलकर बगावत का बिगुल फूंक दिया है। इसी तरह पारू विधानसभा से भाजपा विधायक अशोक सिंह ने टिकट कटने पर निर्देलीय पर्चा भरा है।

भाजपा में दर्जन भर ऐसे नेता हैं, जिन्होंने टिकट कटने के बाद पार्टी के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया है। जदयू, कांग्रेस और राजद में भी ऐसी लंबी फेहरिस्त है। वाम दलों में सीटों की किल्लत है। इनकी शिकायत महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद से है, जिसने अपने पास सबसे अधिक सीटें रखी हैं। एनडीए में जदयू को 101 सीटें मिली हैं।

उम्मीदवारों की सूची जारी होते ही कुछ नेताओं के बागी तेवर सामने आये हैं। ये वैसे नेता हैं, जिन्हें जदयू की उम्मीदवारी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन सूची में नाम नहीं आया। अब ऐसे अधिकतर नेताओं ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे नेताओं में पूर्व मंत्री और दिनारा से विधायक रहे जय कुमार सिंह, पूर्व मंत्री और जमालपुर से विधायक रहे शैलेश कुमार, बरबीघा के विधायक रहे सुदर्शन कुमार, सिकटा के पूर्व विधायक खुर्शीद आलम व वरिष्ठ नेत्री आसमां परवीन प्रमुख हैं। इन सभी ने पार्टी नेतृत्व पर कई आरोप लगाये हैं।

आसमां परवीन पूर्व मंत्री इलियास हुसैन की बेटी हैं। उन्हें 2020 में जदयू ने महुआ से उम्मीदवार बनाया था। इस बार यह सीट लोजपा को चली गई। इसी तरह जय कुमार सिंह की सीट दिनारा रोलोमो के कोटे में चली गई है। वहीं, शैलेश कुमार, गोपाल मंडल, सुदर्शन कुमार व खुर्शीद आलम का टिकट काट दिया गया है। आसमां परवीन ने महुआ से नामांकन कर दिया है।

एनडीए में भाजपा को भी 101 सीटें मिली हैं, जबकि पार्टी में चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वालों की संख्या तीन हजार से अधिक थी। पार्टी ने 17 मौजूदा विधायकों के टिकट भी काटे हैं। सबसे अधिक विरोध मुजफ्फरपुर के औराई विधायक और पूर्व मंत्री रामसूरत राय का है। उनके समर्थकों ने भाजपा कार्यालय का घेराव किया।

अलीनगर सीट से उम्मीदवार बनी चर्चित गायिका मैथिली ठाकुर को लेकर भी स्थानीय कार्यकर्ता एकजुट नहीं हैं। मौजूदा विधायक मिश्रीलाल यादव जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं। अन्य जिलों में भी भाजपा के लिए हालात कम चुनौतीपूर्ण नहीं हैं। रोहतास और औरंगाबाद से संगठन के बड़े चेहरे तैयारी कर रहे थे।

बक्सर से भाजपा के एक कार्यकर्ता ने टिकट मांगा था, लेकिन उनकी जगह एक पूर्व आईपीएस अधिकारी को उतार दिया गया। इससे जिला कमेटी के लोगों में नाराजगी है। छपरा की पूर्व मेयर राखी गुप्ता ने भाजपा से नाराज होकर विरोध का स्वर तेज कर रही हैं। गोपालगंज की विधायक कुसुम देवी ने बगावती तेवर दिखाए हैं। महाराजगंज में भाजपा एमएलसी सच्चिदानंद राय ने खुलेआम विद्रोह का ऐलान किया है।

सहयोगी दलों को सीट चलने जाने के बाद बरौली के विधायक रामप्रवेश राय व पारू के विधायक अशोक कुमार सिंह ने भी बगावत कर दिया है। पूर्वी चंपारण जिले की ढाका सीट से भाजपा के पूर्व नेता लाल बाबू प्रसाद जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार हैं। अररिया सीट से टिकट नहीं मिलने पर भाजपा नेता अजय झा फूट-फूट कर रोये।

राजद में भी बगावती तेवर कम नहीं हो रहे। सीतामढ़ी में पूर्व मंत्री रंजू गीता की नाराजगी चरम पर है। वह निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। भोजपुर की बड़हरा सीट से पूर्व विधायक सरोज यादव ने पार्टी नेतृत्व पर तीखा हमला बोला। टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं पर गंभीर आरोप लगाया है। सारण की तरैया सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज मिथिलेश यादव दल के घोषित उम्मीदवार के खिलाफ आग उगल रहे हैं। अन्य कई सीटों पर भी राजद के लोग बगावत का झंडा बुलंद करते नजर आ जा रहे हैं।

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