BJP को बिहार चुनाव की चिंता, दिल्ली चुनाव में हुए डैमेज को कंट्रोल करने के लिए शाह ने की 'गोली मारो' नारे की निंदा!

By हरीश गुप्ता | Published: February 15, 2020 08:10 AM2020-02-15T08:10:56+5:302020-02-15T08:20:46+5:30

बिहार में अगले छह महीने के भीतर चुनाव होना है जहां भाजपा सत्तारूढ़ जदयू की कनिष्ठ सहयोगी है. यही नहीं, रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा भी भाजपा से गठजोड़ नहीं करेगी यदि वह बिहार में अपना नफरत का एजेंडा जारी रखती है.

Bihar Elections: Amit Shah condemns 'Shoot' slogan to control damage of delhi Asselbly elections loss! | BJP को बिहार चुनाव की चिंता, दिल्ली चुनाव में हुए डैमेज को कंट्रोल करने के लिए शाह ने की 'गोली मारो' नारे की निंदा!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली की दो विधानसभा सीटों पर भाजपा के साथ गठबंधन किया

Highlightsबिहार में अगले छह महीने के भीतर चुनाव होना हैरामविलास पासवान की पार्टी लोजपा भी भाजपा से गठजोड़ नहीं करेगी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपमानजनक हार के बाद नफरत की राजनीति को खारिज करना पार्टी के दिल में बदलाव नहीं, बल्कि यह 'रणनीतिक बदलाव' है. यह बदलाव बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तात्कालिक राजनीतिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अस्थायी है.

बिहार में अगले छह महीने के भीतर चुनाव होना है जहां भाजपा सत्तारूढ़ जदयू की कनिष्ठ सहयोगी है. यही नहीं, रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा भी भाजपा से गठजोड़ नहीं करेगी यदि वह बिहार में अपना नफरत का एजेंडा जारी रखती है. इसी वजह से शाह ने नरेंद्र मोदी सरकार के मौजूदा मंत्रियों और सांसदों के 'गोली मारो' और 'भारत-पाकिस्तान मैच' जैसे नारे की निंदाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है.

अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में हार के तीन दिन बाद शाह ने सार्वजनिक तौर पर ऐसे नारों की निंदा बिहार में गठबंधन के सहयोगियों की खतरे की घंटी बजाने के कारण की. भाजपा नेतृत्व जानता है कि पार्टी बिहार में कनिष्ठ सहयोगी है और न तो जदयू और न ही लोजपा इस मामले में समझौता करेगी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली की दो विधानसभा सीटों पर भाजपा के साथ गठबंधन किया और अमित शाह के साथ चुनाव प्रचार किया. वह भाजपा नेताओं के कट्टर हिंदुत्व प्रचार अभियान से बेहद असहज थे. नीतीश को बिहार में 'सुशासन बाबू' के तौर पर जाना जाता है और अपने प्रदर्शन और अल्पसंख्यकों को अपने पाले में कायम रखने के कारण वह पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की पार्टी राजद को हराने में सक्षम हैं.

यही वजह है कि नीतीश भाजपा को राज्य में नफरत का एजेंडा या धु्रवीकरण को आगे बढ़ाने की इजाजत नहीं देंगे. अब जबकि बिहार में चुनाव के छह महीने बाकी हैं तो किसी अन्य की तुलना में अमित शाह को इसका अधिक ज्ञान है कि यदि भाजपा जदयू के साथ रहती है, तो राज्य में उसका हिंदुत्व एजेंडा काम नहीं करेगा.

दूसरी बात यह है कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने भाजपा नेताओं को पहले ही चेतावनी दे दी है कि बिहार में किसी भी तरह के घृणा फैलाने वाले प्रचार की अनुमति नहीं दी जाएगी. उनके पिता रामविलास पासवान ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा नेताओं के साथ मंच साझा किया, लेकिन भाजपा के राजनीतिक भाषणों से बेहद असहज दिखे.

रामविलास पासवान ने भाजपा के खिलाफ टिप्पणी करने के बदले नफरत वाले बयान देने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए अपने बेटे को मैदान में उतारा.

पश्चिम बंगाल, असम में अपने एजेंडे पर वापस जाएगी :

बिहार चुनाव के कारण अमित शाह का यह रुख क्षणिक है. अगस्त में बिहार विघानसभा चुनाव होते ही भाजपा पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में अपने एजेंडे पर वापस जाएगी जहां अगले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव होना है.

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