'रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ' बयान पर अडिग हैं बिहार के शिक्षा मंत्री, कहा- हम उस राम के भक्त हैं जो शबरी के झूठे बेर खाते हैं उसके नहीं जो...
By अनिल शर्मा | Published: January 12, 2023 01:39 PM2023-01-12T13:39:30+5:302023-01-12T13:58:27+5:30
चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलानेवाला ग्रंथ बताया। मंत्री की टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर करते हुए अयोध्या को संत परमहंस आचार्य ने माफी की मांग की है। और ऐसा न करने पर मंत्री की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ इनाम देने की घोषणा की है।
पटनाः बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी से विवाद पैदा हो गया है। चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलानेवाला ग्रंथ बताया। मंत्री की टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर करते हुए अयोध्या को संत परमहंस आचार्य ने माफी की मांग की है। और ऐसा न करने पर मंत्री की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ इनाम देने की घोषणा की।
वहीं बिहार के शिक्षा मंत्री अपने बयान पर अडिग हैं। उन्होंने विवाद पर तर्क देते हुए कहा कि अमेरिक ने जिस शख्स को ज्ञान का प्रतीक कहा, भीमराव अंबेडकर, उन्होंने मनुस्मृति क्यों जलाई? हम उस राम के भक्त हैं जो शबरी के झूठे बेर खाते हैं उसके नहीं जो शंबूक का वध करे...। बकौल मंत्री- मेरी जीभ काटने पर फतवा दिया है। हमारे पुरखे जीभ कटवाते रहे हैं इसलिए हम बयान पर अडिग हैं।
#WATCH मनुस्मृति को क्यों जलाया गया क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ अनेको गालियां दी गई। रामचरितमानस का क्यों प्रतिरोध हुआ और किस अंश का प्रतिरोध हुआ?: रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, पटना pic.twitter.com/bW2pB8Eg3P
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 11, 2023
चंद्रशेखर ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मनुस्मृति को क्यों जलाया गया क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ अनेको गालियां दी गई। रामचरितमानस का क्यों प्रतिरोध हुआ और किस अंश का प्रतिरोध हुआ? मंत्री ने कहा कि मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स... यह ग्रंथ नफरत फैलाने वाले ग्रंथ हैं। उन्होंने कहा कि नफरत देश को महान नहीं बनाएगा, देश को मोहब्बत महान बनाएगा।
अयोध्या के संत परमहंस ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस तोड़नेवाला नहीं बल्कि जोड़नेवाला ग्रंध है। यह मानवता की स्थापना करनेवाला ग्रंथ है। यह हमारे देश का गौरव है।