Bihar Education Department-BPSC: बीपीएससी और शिक्षा विभाग में जंग, केके पाठक को नसीहत, दोनों ओर से लेटर बम से हमला, जानें आखिर क्या है माजरा
By एस पी सिन्हा | Published: September 9, 2023 04:37 PM2023-09-09T16:37:17+5:302023-09-09T16:38:05+5:30
Bihar Education Department-BPSC: शिक्षा विभाग के द्वारा पूर्व में भेजे गए पत्र के बाद बीपीएससी ने चेताते हुए कहा था कि आयोग आपके अधीन नहीं है। आगे से इस तरह का पत्र लिखने की धृष्टता न करें।
पटनाः बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी) और शिक्षा विभाग में जंग छिड़ गई है। दोनों के बीच तल्खियां और बढ़ गई है। दोनों के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। बीपीएससी ने शिक्षा विभाग को चेतावनी भरा जवाब दिया। इसके बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बीपीएससी को नसीहत दे दी है। साथ ही बीपीएससी से कई सवाल भी पूछे हैं।
इतना ही नहीं आयोग की स्वायत्ता पर भी सवाल खड़े किए हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने यह बीपीएससी को लौटाया ही नहीं बल्कि बिहार के मुख्य सचिव का हवाला दे डाला है। दरअसल, शिक्षा विभाग के द्वारा पूर्व में भेजे गए पत्र के बाद बीपीएससी ने चेताते हुए कहा था कि आयोग आपके अधीन नहीं है। आगे से इस तरह का पत्र लिखने की धृष्टता न करें।
इसके जवाब में शिक्षा विभाग के तरफ से पत्र जारी कर कहा गया है कि आयोग के तरफ से जो पत्र लिखा गया है, उसके संदर्भ में यह कहना है कि बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानान्तरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2023 में विहित प्रावधानों के विपरीत आयोग द्वारा की जा रही कार्रवाई से ध्यान भटकाव हेतु अनर्गल एवं अवांछित तथ्यों का उल्लेख किया गया है जो न आवश्यक है और न ही उचित। आयोग अपनी कार्रवाई करने हेतु स्वतंत्र है एवं इसकी सूचना शिक्षा विभाग के तरफ से पहले ही दी जा चुकी है।
आयोग की आंतरिक प्रक्रिया का निर्वहन वह स्वयं करें, इसमें विभाग को कुछ नहीं कहना है। फिर भी आपके तरफ से जो विभाग के तरफ से दबाव बनाने का जो तथ्य दिया गया है। वह अनुचित एवं अस्वीकार्य है। आयोग अपने दायित्वों का निर्वहन करने हेतु स्वतंत्र है।
लेकिन, आयोग नियुक्ति नियमावली में विहित प्रावधानों के विपरीत ऐसा कोई कार्य न करे जिससे भविष्य में अनावश्यक न्यायालयीय वादों का कारण बने। पत्र में आगे कहा गया है कि अनर्गल एवं अनुचित शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए अनावश्यक पत्राचार करने के बजाय नियमावली में विहित प्रावधानों के आलोक में ससमय कार्रवाई सुनिश्चित करें।
ताकि नियुक्ति प्रक्रिया को न्यायालयीय वादों के बोझ से बचाया जा सके। शिक्षा विभाग ने कहा है कि आपने यह भी लिखा है कि बिहार लोक सेवा आयोग, शिक्षा विभाग या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं है। शिक्षा विभाग आपको यह स्पष्ट करना चाहता है कि औटोनौमि का अर्थ एनार्की नहीं है।
बता दें, शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन कार्य में शिक्षकों व शिक्षा विभाग के कर्मियों को लगाने पर शिक्षा विभाग ने गहरी नाराजगी जताई थी। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने बीपीएससी के सचिव को पत्र लिखकर सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन को ही औचित्यहीन करार दिया था। साथ ही शिक्षा विभाग के कर्मियों को इस कार्य से हटाने को कहा था। इसी के बाद विवाद बढ़ गया।