बिहारः 13 मरीजों की मौत के बाद तीन बड़े कॉलेजों के डॉक्टरों की हड़ताल हुई खत्म

By एस पी सिन्हा | Published: August 10, 2018 06:56 PM2018-08-10T18:56:39+5:302018-08-10T18:56:39+5:30

एक रिपोर्ट के मुताबिक 400 से ज्यादा मरीज अस्पतालों से पलायन कर चुके हैं। जूनियर डॉक्‍टरों को मनाने में स्वास्थ्य महकमा असफल रहा था।

Bihar Doctors End Strike After State Assurance and Dozens Of Patients Die | बिहारः 13 मरीजों की मौत के बाद तीन बड़े कॉलेजों के डॉक्टरों की हड़ताल हुई खत्म

बिहारः 13 मरीजों की मौत के बाद तीन बड़े कॉलेजों के डॉक्टरों की हड़ताल हुई खत्म

पटना, 10 अगस्तःबिहार के तीन बड़े मेडिकल कॉलेजों में जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल तो शुक्रवार को खत्म हो गई, लेकिन तब तक 13 मरीजों की मौत हो चुकी थी। यही नहीं इस हड़ताल से मरीजों की हालत लगातार बिगड़ रही थी। हड़ताल की वजह से अस्पताल के इमरजेंसी और ओपीडी विभाग भी बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। सूत्रों के अनुसार जूनियर डॉक्टरों इस हड़ताल के दौरान 13 मरीजों की मौत रिपोर्ट की गई है और 50 से ज्यादा ऑपरेशन टाले जा चुके हैं। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक 400 से ज्यादा मरीज अस्पतालों से पलायन कर चुके हैं। जूनियर डॉक्‍टरों को मनाने में स्वास्थ्य महकमा असफल रहा था। बता दें, बिहार के तीन बड़े मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों को मनाने के लिए गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के साथ उनकी वार्ता विफल हो गई थी। इसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का फैसला किया था। 

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने जूनियर डॉक्टरों को आश्वासन दिया था, लेकिन जेडीए को सरकारी आश्वासन पर भरोसा नहीं था। एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर की पिटाई के विरोध में गुरुवार को राजधानी पटना के सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए थे। पटना में जूनियर डॉक्टरों की ये हड़ताल अब जानलेवा साबित हो रही थी। 

डॉक्टर दोषियों की गिरफ्तारी और मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रहे थे। इसके पहले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने पीएमसीएच और एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि डॉक्टरों की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ नहीं होगा। डॉक्टरों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने बताया था कि पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। उन्होंने आरोपियों पर ठोस कार्रवाई करने का भरोसा भी दिलाया था। इसके बाद जूनियर डॉक्टर काम पर लौटे।

यहां उल्लेखानीय है कि पीएमसीएच में मरीजों की मौत और इलाज नहीं होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह हड़ताल को माना जा रहा है। खबर है कि यहां जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से 11 वर्षों में 700 से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है। जूनियर डॉक्टर छोटी-छोटी बात पर हड़ताल पर चले जाते हैं, जिसका नुकसान गरीब मरीजों को उठाना पड़ता है। कहा जाता है कि इस हड़ताल को शह सीनियर डॉक्टरों से मिलती है। 

हड़ताल के वक्त भी सीनियर डॉक्टर सपोर्ट करते हैं। इन मौतों को लेकर न स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई करता है न ही मानवाधिकार आयोग ऐसे मामलों में सजग होती है। बताया जाता है कि पीएमसीएच में होने वाले हड़तालों को खत्म कराने में सीनियर डॉक्टर रुचि नहीं लेते। ऐसे मामलों में डॉक्टरों के एसोसिएशन आइएमए और भासा सरकार से बात करते हैं। इस वार्ता के दौरान मेडिकल कॉलेज के प्रशासक सामने नहीं आते हैं। 2011 के पहले माह में हुए हड़ताल को भी आइएमए व सरकार की वार्ता के बाद समाप्त किया गया। 

2016 और 2017 में डायरेक्टर इन चीफ के साथ आइएमए और भाषा दोनों साथ था। यही वजह है कि जूनियर डॉक्टरों का मनोबल बढ़ जाता है और हड़ताल पर चले जाना उनके लिए खेल साबित होने लगा है।

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Web Title: Bihar Doctors End Strike After State Assurance and Dozens Of Patients Die

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