बिहार में नाइट कर्फ्यू पर सियासत, उपेंद्र कुशवाहा ने संजय जायसवाल को दी नसीहत, कहा-यह राजनीति का वक्त नहीं...
By एस पी सिन्हा | Published: April 21, 2021 07:34 PM2021-04-21T19:34:57+5:302021-04-21T19:36:25+5:30
बिहार में रात नौ बजे से सुबह पांच बजे तक कर्फ़्यू लगाने, स्कूल और कॉलेज 15 मई तक बंद रखे जाने के साथ-साथ आवश्यकता अनुसार धारा 144 लागू करने का अधिकार जिला प्रशासन को दिए जाने सहित कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं
पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमण की विस्फोटक होती जा रही स्थिति के बीच अब सियासत भी गर्माने लगी है. विपक्ष तो विपक्ष है, अब सत्तापक्ष भी आपस में फरिया लेने के मूड में आ गये हैं.
राज्य में हर दिन कोरोना संक्रमण के तोड़ते रिकॉर्ड के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते दिनों कई सारी बंदिशों के साथ नाइट कर्फ्यू का एलान किया था. राज्य में रात नौ बजे के बाद नाइट कर्फ्यू लागू होने से कोरोना के केस तो कम नहीं हुए लेकिन सियासत जरूर होने लगी.
पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जयसवाल में नाइट कर्फ्यू के मसले पर नीतीश कुमार को खरी-खोटी सुनाई थी और अब जदयू नेता व विधान पार्षद उपेंद्र कुशवाहा ने डॉ संजय जायसवाल को नसीहत दे डाली है. उपेंद्र कुशवाहा ने डॉ संजय जायसवाल के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि फिलहाल राजनीतिक बयानबाजी का वक्त नहीं है.
उन्होंने सीधे-सीधे इसके लिए डॉ संजय जयसवाल को चोट किया है. उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा की तरफ से नाइट कर्फ्यू को लेकर उठाई गई सवालों से जुड़ी खबर को ताजा करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है. "जयसवाल जी, अभी राजनीतिक बयानबाजी का वक्त नहीं है." दरअसल, बीते दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने पोस्ट में लिखा था- 'मैं कोई विशेषज्ञ तो नहीं हूं फिर भी सभी अच्छे निर्णयों में से इस एक निर्णय को समझने में असमर्थ हूं कि रात का कर्फ्यू लगाने से कोरोना वायरस का प्रसार कैसे बंद होगा?
अगर कोरोना वायरस के प्रसार को वाकई रोकना है तो हमें हर हालत में शुक्रवार शाम से सोमवार सुबह तक की बंदी करनी होगी. घरों में बंद इन 62 घंटों में लोगों को अपनी बीमारी का पता चल सकेगा और उनके बाहर नहीं निकलने के कारण बीमारी के प्रसार को रोकने में कुछ मदद अवशय मिलेगी."
यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले उपेंद्र कुशवाहा पाला बदलकर महागठबंधन में चले गए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद हाल ही में उनकी पार्टी का जदयू में विलय हो गया. अभी वह जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और विधान परिषद में सदस्य मनोनीत किये जा चुके हैं.