पटना: बिहार में जारी कोरोना संक्रमण की सूनामी के बीच लॉकडाउन के मसले पर सियासत तेज हो गई है. सत्तारूढ गठबंधन की मुख्य सहयोगी दल भाजपा सप्ताहिक लॉकडाउन की मांग पर अड़ी है, वहीं इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कई शर्तों के साथ लॉकडाउन की मांग कर सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
राज्य में कोरोना संक्रमण के बढते हुए मामलों को देख कर सरकार गंभीरता पूर्वक लॉकडाउन के विकल्प पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को इस मसले पर उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है.
लॉकडाउन को लेकर सत्ताधारी गठबंधन एनडीए में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनकी पार्टी ने लॉकडाउन लगाने के लिए बड़ी शर्त सामने रखते हुए कहा है कि वह एक ही शर्त पर लॉकडाउन का समर्थन करेंगे अगर सबका बिजली-पानी बिल, स्कूल-कॉलेज की फीस माफ कर दी जाए.
साथ ही मांझी ने कहा कि किरायेदारों का किराया माफ किया जाए. बैंक लोन, ईएमआई को भी माफ कर दिया जाए. मांझी ने कहा है कि किसी को शौक नहीं होता कि जान जोखिम में डालकर बाहर जाए. लेकिन रोटी और कर्ज के कारण सब कुछ करना पडता है. यह बात एयर कंडीशनर में रहने वाले लोगों को समझ में नहीं आएगी.
जीतन राम मांझी ने अपने इस स्टैंड से स्पष्ट कर दिया है कि वह लॉकडाउन का समर्थन नहीं कर रहे हैं. अब ऐसे में सरकार के लिए कोई भी फैसला लेना आसान नहीं है एक तरफ बिहार महामारी की चपेट में है और दूसरी तरफ एनडीए में ही गतिरोध बढता जा रहा है.
बता दें कि पिछले दिनों भी जब राज्यपाल की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी तो मांझी ने साफ-साफ कह दिय़ा था कि लॉकडाउन लगाने से गरीब आदमी मर जाएगा. वे किसी भी कीमत पर लॉकडाउन का समर्थन नहीं करते हैं. इस मुद्दे पर सरकार के सहयोगी मुकेश सहनी भी सामने आ गये थे. उन्होंने लॉकडाउन का समर्थन किया था.
सर्वदलीय बैठक में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल और मंत्री रामसूरत राय लॉकडाउन का समर्थन कर चुके हैं. संजय जायसवाल ने सरकार के नाईट कर्फ्यू लगाने के फैसले पर सवाल खडे किये थे तो वहीं मंत्री रामसूरत राय ने कहा था कि राज्य में पूर्ण लॉकडाउन लगाकर ही कोरोना संक्रमण की चेन तोडी जा सकती है. राज्य में कोरोना से हालात बिगड़ते जा रहे हैं.