पटनाः बिहारकांग्रेस के द्वारा जारी की गई जिला अध्यक्षों की सूची में विशेष तौर पर भूमिहार और ब्राह्मणों चेहरों को तरजीह दी गई है। इसके साथ ही राजपूत और मुस्लिमों पर भी दांव लगाया गया है, जबकि जिलाध्यक्षों की सूची में दलित और पिछड़ा वर्ग के चेहरों की कमी है। वहीं इस सूची में महज सिर्फ दो महिलाओं को शामिल किया गया है।
पटना में तीन जिलाध्यक्ष बनाए गए है। पटना महानगर से, पटना ग्रामीण-1 से और पटना ग्रामीण-2 से। जानकारी है कि 12 जिलों में पुराने जिलाध्यक्षों को ही जगह दी गई है। कांग्रेस जिलाध्यक्षों की सूची में सर्वाधिक जिलाध्यक्ष सवर्ण जाति से बनाए गए हैं। दो दर्जन से ज्यादा जिलाध्यक्ष सवर्ण हैं। यानी कांग्रेस का फोकस सवर्ण वोट बैंक पर ज्यादा है।
भाजपा के सवर्ण वोट बैंक को कमजोर करनी यह रणनीति हो सकती है। अतिपिछड़ा जिलाध्यक्ष तो दिख ही नहीं रहे हैं सूची में। मुसलमान पांच हैं। तीन दलित हैं। बता दें काग्रेस में प्रदेश अखिलेश प्रसाद सिंह सवर्ण हैं। विधायक दल के नेता अजीत शर्मा भी सवर्ण हैं। दोनों एक ही भूमिहार जाति से हैं।
विधान परिषद में नेता मदन मोहन झा सवर्ण हैं। विधान परिषद में चार विधान पार्षद हैं, सभी सवर्ण हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन अभी होना बाकी है। भाजपा ने जहां कुशवाहा जाति के सम्राट चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और उसका फोकस पिछड़ा-अतिपिछड़ा वोट बैंक भी है, वहां कांग्रेस को जैसे इस वोट बैंक की परवाह नहीं के बराबर है।
महागठबंधन ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए जेल मैनुअल में संशोधन करवाया। अब जिलाध्यक्ष बनाने में कांग्रेस ने अपना सवर्ण चेहरा सामने लाया है। संगठन में कई लोग हैं, बावजूद एक ही व्यक्ति विधायक भी और अब अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। जिला के प्रभारी समीर कुमार सिंह हैं वे पार्षद भी हैं। यह एक उदाहरण मात्र है कि संगठन को किस तरह से प्रदेश में मजबूत किया जा रहा है।