भारत-चीन सीमा विवाद पर बोले नीतीश कुमार, राजनीति छोड़ पूरा देश चीन से प्रतिशोध लेने के लिए एकजुट है
By पल्लवी कुमारी | Published: June 20, 2020 05:44 AM2020-06-20T05:44:17+5:302020-06-20T05:44:17+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ छह सप्ताह से सीमा पर बने हुए गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार (19 जून) को कहा कि किसी ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया और ना ही भारतीय चौकियों पर कब्जा किया गया है। मोदी ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 20 जवानों की शहादत का जिक्र करते हुए कहा कि एलएसी पर चीन के कदमों से पूरा देश आहत और आक्रोशित है।
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार (19 जून) को कहा कि लद्दाख में चीन की “कायराना हरकत” से देशभर में आक्रोश है और राष्ट्र प्रतिशोध लेने के लिए एकजुट है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति पर प्रधानमंत्री द्वारा बुलाए गए सर्वदलीय बैठक में जदयू अध्यक्ष के तौर पर नीतीश कुमार ने अपने विचार रखे। पूर्वी लद्दाख में स्थित गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए सेना के 20 कर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि शहीदों में से पांच बिहार के थे। नीतीश कुमार ने कहा कि इस मुद्दे पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर पूरा देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक साथ खड़ा है। बैठक में जदयू नेता नीतीश कुमार ने कहा कि इस मुद्दे पर नेताओं के बीच मतभेद नहीं होने चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करीब चार घंटे तक चली जिसमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी , बसपा अध्यक्ष मायावती, माकपा नेता सीताराम येचुरी, द्रमुक नेता एम के स्टालिन और शिवसेना के उद्धव ठाकरे समेत विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।
गलवान घाटी में सोमवार रात (15 जून) हुई हिंसक झड़प 45 साल के इतिहास में दोनों देशों के बीच सीमा पर सबसे बड़े टकराव वाली घटना थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए, वहीं चीन की सेना ने अपने मारे गए जवानों की संख्या नहीं जाहिर की है।
जानें पीएम मोदी द्वारा बुलाए गए सर्वदलीय बैठक में किसने क्या-क्या कहा?
- बैठक में सोनिया गांधी ने सरकार से कुछ सख्त सवाल पूछे मसलन क्या एलएसी पर बने हालात पर कोई खुफिया विफलता हुई है? उन्होंने मोदी से आश्वासन देने को कहा कि सीमा पर यथास्थिति बहाल की जाएगी। सोनिया ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि इस स्तर पर भी वे इस संकट के कई महत्वपूर्ण पहलुओं से अनभिज्ञ हैं। उन्होंने सरकार के सामने सवाल रखे और पूछा कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में कब प्रवेश किया? उन्होंने पूछा, ‘‘क्या सरकार के विचार से कोई खुफिया नाकामी हुई?’’
-पूर्व रक्षा मंत्री और राकांपा नेता शरद पवार ने कहा कि तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक माध्यमों का इस्तेमाल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों को गलवान घाटी में ऊंचे मैदानी इलाकों से बाहर निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन की सेना भारतीय सीमा की तरफ दुब्रुक-डीबीओ मार्ग पर प्रभाव जमाने के मकसद से गलवान घाटी में ऊंचे क्षेत्रों में डटी हुई है।
-तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी संकट की इस घड़ी में केंद्र सरकार के साथ पुरजोर तरीके से खड़ी है और केंद्र को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बुनियादी संरचना परियोजनाओं में चीन के निवेश को अनुमति नहीं देनी चाहिए। तृणमूल के सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को संकट के समय में एकजुट रहना चाहिए और रहेगा।
- चिराग पासवान ने कहा कि देश प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सुरक्षित महसूस करता है।
-शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री की सराहना की और कहा कि पूरा देश एकजुट है और प्रधानमंत्री के साथ है। एनपीपी के कोनराड संगमा ने कहा कि प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर में बुनियादी संरचनाओं के विकास पर काम कर रहे हैं।
-बसपा नेता मायावती ने कहा कि यह राजनीति का समय नहीं है और वह प्रधानमंत्री के हर फैसले के साथ खड़ी हैं। द्रमुक के स्टालिन ने इस विषय पर प्रधानमंत्री के हालिया बयान का स्वागत किया।
-राजद, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम जैसे विपक्षी दलों ने बैठक में आमंत्रित नहीं किये जाने पर नाराजगी जताई और निमंत्रण के मानदंड पर सवाल उठाए।
(पीटीआई-इनपुट के साथ)