Bihar: 'चाचा-भतीजा' को नजदीक लाएगी भाजपा, मिटेगी दूरी, मिलेगा फायदा
By एस पी सिन्हा | Published: June 13, 2024 05:04 PM2024-06-13T17:04:13+5:302024-06-13T17:06:43+5:30
Bihar:बिहार में अब चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के फिर से एकजुट होने के संकेत मिल रहे हैं।
Bihar:बिहार में अब चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के फिर से एकजुट होने के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, चिराग पासवान के केन्द्रीय मंत्री बनने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पारस ने खुशी जाहिर की है।
इसके बाद से सियासी गलियारे में दोनों के दिल एक बार फिर से एक होने की बात कही जाने लगी है। बता दें कि पारस ने पिछले दिनों अपने भतीजे और चिराग पासवान से सारे गिले-शिकवे भुलाकर उन्हें केंद्रीय मंत्री बनने की शुभकामनाएं दी।
इस दौरान उन्होंने चिराग को बडा बेटा कहा। पारस ने एक्स पर लिखा कि बड़े बेटे चिराग पासवान को बधाई और शुभकामनाएं। उन्होंने लिखा कि केंद्रीय मंत्री के रूप में मेरा पूर्व पदभार संभालने पर बड़े बेटे चिराग पासवान को ह्रदयतल से बधाई और अनंत शुभकामनाएं। पारस ने आगे लिखा कि हमें आशा है कि आप क्षेत्र एवं प्रदेशवासियों के मायूसी और हितों को ध्यान में रखते हुए इस समस्या का त्वरित समाधान करेंगे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले तक चाचा पारस और भतीजे चिराग के बीच तनातनी चरम पर थी। पार्टी में टूट के साथ-साथ परिवार भी टूट गया था। 5 सांसदों को लेकर पशुपति पारस अलग हो गए थे और चिराग पासवान अकेले रह गए थे। उन्होंने बड़ी मेहनत से अपनी पार्टी को खड़ा किया। उनकी सियासी ताकत को देखते हुए लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान को एनडीए में ज्यादा तवज्जो मिली थी।
उन्हें पांच सीट मिली थी और चाचा पशुपति गुट को कुछ नहीं मिला था। हाजीपुर सीट को लेकर भी दोनों के बीच ठन गई थी। इसको लेकर दोनों के बीच काफी बयानबाजी भी हुई थी। हालांकि, बाद में पशुपति पारस ने एनडीए में वापसी कर ली थी। एनडीए में रहने के बाद भी पशुपति पारस ने चिराग पासवान और उनके प्रत्याशियों के लिए प्रचार नहीं किया था। अब जबकि चिराग मंत्री बन गए हैं तो चाचा पारस का भी दिल अब पसीज गया है और वह अब चिराग को बड़ा बेटा कहने लगे हैं।
जबकि पहले वह कहते थे कि अब पार्टी और परिवार कभी एक नहीं हो सकता। अब पशुपति पारस के ट्वीट से बिहार की राजनीति में फिर से बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। चर्चा है कि भाजपा दोनों को साथ लाने का हर संभव प्रयास में जुटी हुई है। इसका कारण यह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों का बिखराव को ज्यादा से ज्यादा रोका जा सके।