पटनाः बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सदन शुरू होते ही अपनी बात को रखने के बाद विजय सिन्हा ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। विजय सिन्हा ने कहा कि उन्हे बहुमत से सदन का अध्यक्ष चुना गया था, वर्तमान राजनीतिक हालात में बहुमत मेरे पक्ष में नहीं है, इसलिए पद का त्याग करता हूं।
उन्होंने सदन के पटल पर अपने अंतिम भाषण में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जमकर सुनाया। उन्होंने अपने पूरे भाषण में कई प्रकार से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए बताया कि कैसे अध्यक्ष पद की गरिमा का उन्होंने सम्मान बढ़ाया। वहीं दूसरी और किस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित उनके विधायकों ने अध्यक्ष की कुर्सी का सम्मान नहीं किया।
अपने अंतिम संबोधन में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह भी याद दिलाया कि कैसे उन्होंने अध्यक्ष की कुर्सी पर ऊंगली दिखाई थी। विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मैंने अपने दायित्वों का निष्पक्ष तरीके से निभाया। न्याय के साथ विकास, न बचाते है न फंसाते के सरकार के निर्णय को भी लागू करने का प्रयास किया।
इसमें कुछ लोगों को परेशानी भी हुई। कई अच्छी छवि के सदस्य भी हैं, जिनकी छवि बचाने की जिम्मेवारी हम सबकी है। हम सबकी जिम्मेदारी है, ठहरी हुई विरासत को बढ़ाने का, लेकिन जो आरोपित और कंलकित हैं, वे स्वच्छ को भी कलंकित करने की कोशिश करते हैं। कथनी और करनी में जबतक अंतर रहेगा, तबतक जनता के हम कृपा पात्र नहीं बन सकते।
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वो इस्तीफा पहले ही दे देते, लेकिन उनके ऊपर जो आरोप लगाये गये हैं, उन्हें उसका उत्तर देने का अवसर मिलना चाहिए। इसलिए अपनी बात करने का काम करते रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत सभी का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ कुछ विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, इसलिए बहुमत के आधार पर मेरा पद पर बने रहना उचित नहीं होगा। नैतिकता पर चर्चा नहीं करेंगे। लोकतंत्र की खूबसूरती या बदसूरती, यह जनता पर छोड़ा हूं।
मैं पद त्याग कर देता, लेकिन इसी बीच पता चला कि मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दी गई। ऐसे में अगर मैं इस्तीफा दे देता तो मैं आरोपों का जवाब नहीं दे पाता। अविश्वास प्रस्ताव अस्पष्ट है। नियमानुकूल नही है। मेरे खिलाफ मनमानी और तानाशाही का जो आरोप लगाया गया वो बिल्कुल निराधार है।