Bihar: बिहार में एनडीए सरकार में विधानसभा अध्यक्ष पुराना, क्या होगा खेला
By एस पी सिन्हा | Published: February 3, 2024 05:51 PM2024-02-03T17:51:14+5:302024-02-03T17:56:58+5:30
Bihar: बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के अपने पद से इस्तीफा नहीं दिए जाने के बाद कयासों के बाजार गर्म है। सियासी गलियारे में अवध बिहारी चौधरी के अगले कदम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
Bihar:बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के अपने पद से इस्तीफा नहीं दिए जाने के बाद कयासों के बाजार गर्म है। सियासी गलियारे में अवध बिहारी चौधरी के अगले कदम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। ऐसे में चर्चा है कि अवध बिहारी चौधरी क्या विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे अथवा अविश्वास प्रस्ताव का मुकाबला करेंगे।
दरअसल, बिहार विधानमंडल का बजट सत्र 12 फरवरी से शुरू होने वाला है। राज्यपाल के अभिभाषण के बाद उसी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश करेंगे। उससे पहले चौधरी को पद से हटाने के लिए दी गई नोटिस की चर्चा होगी। उस दौरान आसन पर उपाध्यक्ष या कोई अन्य पीठासीन सदस्य बैठेंगे।
इसी व्यवस्था में विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी होगी। विश्वास मत में सरकार के जीत जाने के बाद भी अगर अवध बिहारी चौधरी इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें हटाने के लिए मतदान होगा। यह सब 24 अगस्त 2022 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को पद से हटाने की तर्ज पर होगा। उल्लेखनीय है कि 12 फरवरी को राज्यपाल विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगे।
उसके बाद विधानसभा और विधान परिषद की अलग-अलग कार्यवाही शुरू होगी। विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के आसन पर बैठते ही सत्तारूढ़ दल के सदस्य उठ कर कहेंगे कि अध्यक्ष को हटाने के लिए नोटिस दिया गया है। इसलिए उनकी अध्यक्षता में सदन की कार्यवाही नहीं चल सकती है। अध्यक्ष आसन छोड़ कर चले जाएंगे। उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी की अध्यक्षता में सदन की कार्यवाही शुरू होगी।
उसी समय सरकार की ओर से विश्वास मत का प्रस्ताव पेश होगा। मतदान होगा। बता दें कि 24 अगस्त 2022 को लगभग ऐसी ही स्थिति आने पर विजय कुमार सिन्हा ने पहले भाषण दिया और आसन की जवाबदेही वरिष्ठ विधायक नरेंद्र नारायण यादव को देकर अपने कक्ष में चले गए। फिर बिना नोटिस पर मतदान के पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। सरकार का विश्वास मत का प्रस्ताव भी पारित हो गया था।
लेकिन जानकारों का कहना है कि दो साल पहले और आज की परिस्थिति में अंतर है। उस समय जदयू से अलग होने के बाद भी भाजपा सरकार बनाने का प्रयास नहीं कर रही थी। लेकिन अभी महागठबंधन के घटक दल सरकार बनाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इसलिए अवध बिहारी चौधरी की नजर सरकार के विश्वासमत के परिणाम पर भी टिकी हुई है।
कारण कि अवध बिहारी चौधरी भी मंजे हुए सियासी खिलाडी रहेंगे। चौधरी हर हथकंडा अपनाते हुए एनडीए सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने का प्रयास कर सकते हैं। ऐसे में सभी की निगाहें अवध बिहारी चौधरी के अगले सियासी कदम पर टिकी हुई है।