बिहार विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को उतारा मैदान में, दे सकते हैं तेजस्वी को सियासी मात
By एस पी सिन्हा | Updated: March 10, 2025 17:14 IST2025-03-10T17:13:15+5:302025-03-10T17:14:42+5:30
इस दौरान कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार में रोजगार की भारी कमी है। युवा शिक्षा और इलाज के लिए भी बाहर जाने को मजबूर हैं। यह सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसे लेकर हम जनता के बीच जाएंगे। हमारी यात्रा इसी उद्देश्य के लिए है कि सरकार को युवाओं की समस्याओं पर ध्यान देना पड़े।"

बिहार विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को उतारा मैदान में, दे सकते हैं तेजस्वी को सियासी मात
पटना:बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को मैदान में उतार दिया है। इससे राजद की परेशानी बढ़ने की संभावना जताई जाने लगी है। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमारबिहार यात्रा पर जाएंगे। उन्होंने अपनी बिहार यात्रा का ऐलान किया है, जिसका नाम "नौकरी दो, पलायन रोको" रखा गया है। यह यात्रा 16 मार्च से शुरू होगी और इसकी शुरुआत चंपारण के भितिहरवा आश्रम से होगी। इस यात्रा के जरिए कन्हैया कुमार बिहार में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों को उठाएंगे।
सोमवार को सदाकत आश्रम आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस कन्हैया कुमार ने बिहार में युवाओं के बढ़ते पलायन और सरकार की नीतियों पर निशाना साधा। कन्हैया कुमार के साथ कांग्रेस के कई बड़े नेता भी मौजूद रहे, जिनमें बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारू, युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी शामिल थे। इस दौरान कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार में रोजगार की भारी कमी है। युवा शिक्षा और इलाज के लिए भी बाहर जाने को मजबूर हैं। यह सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसे लेकर हम जनता के बीच जाएंगे। हमारी यात्रा इसी उद्देश्य के लिए है कि सरकार को युवाओं की समस्याओं पर ध्यान देना पड़े।"
उन्होंने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि डोमिसाइल नीति के तहत बिहार के युवाओं का हक छीना जा रहा है और नौकरियां बाहरी लोगों को दी जा रही हैं। जब उनसे महागठबंधन के संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिसके पास संख्या होगी, वही मुख्यमंत्री बनेगा। जनता जिसे समर्थन देगी, वह आगे आएगा। हालांकि, जब उनसे खुद के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसे टाल दिया।
बता दें कि कांग्रेस की इस यात्रा को बिहार में संगठन को मजबूत करने और जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। इस यात्रा के दौरान कन्हैया कुमार राज्य के कई जिलों में जनसभाएं करेंगे और युवाओं से संवाद करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कन्हैया कुमार की यह यात्रा बिहार की राजनीति में कितना असर डालती है और कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाती है। यही नही कन्हैया कुमार को राजद के नेता कितना स्वीकार करते हैं, यह एक यक्ष प्रश्न सियासी गलियारे में तैरने लगा है।
बता दें कि कांग्रेस इस बार कम सीट पर मानने वाली नहीं है। कांग्रेस 60 से 70 सीट पर दावा कर सकती है। वहीं दूसरी ओर राजद अपने गठबंधन के साथियों को अधिक सीट देने के मूड में नहीं है। दरअसल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस को 70 सीट पर चुनाव लड़ा था लेकिन मात्र 19 सीटों पर ही कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। वहीं राजद ने 179 सीट पर चुनाव लड़ा था और 75 सीटों पर जीत दर्ज कर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी थी।
राजनीतिक के जानकारों की मानें तो राजद को इस बात का मलाल था कि उसने अपने साथियों के अधिक सीट दी। ऐसा माना जा रहा है कि इससे सबक लेकर राजद 2025 के विधानसभा चुनाव में साथियों को कम सीट देगी। ऐसे में माना जा रहा है कि सीटों को लेकर राजद और कांग्रेस में मतभेद हो सकता है।
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी की बात करें तो कांग्रेस अंदरूनी कलह से गुजर रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पार्टी के नेताओं में नाराजगी है। पार्टी में गुटबाजी चल रही है। पार्टी के कई नेता ऐसे बयान दे चुके हैं जिससे महागठबंधन में टूट की चर्चा शुरु हो गई थी।