विधानसभा चुनाव 2025ः 243 सीट पर सर्वे कर टिकट देने की तैयारी, 40-45 विधायक होंगे बेटिकट, भाजपा ने कसी कमर
By एस पी सिन्हा | Updated: June 1, 2025 18:24 IST2025-06-01T18:23:24+5:302025-06-01T18:24:02+5:30
Bihar Assembly Elections 2025: एनडीए ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए एक संतुलित समीकरण तैयार किया है, जिसमें सभी सहयोगी दलों को उनकी ताकत और प्रभाव के आधार पर हिस्सेदारी दी जाएगी।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटी भाजपा ने चुनाव के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। यहां सहयोगी दलों से सीटों के बंटवारा सबसे आखिर में किया जाएगा। पार्टी की तरफ से बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है। जिन मौजूदा विधायकों का प्रदर्शन ठीक नहीं, उनका टिकट काटा जाएगा। इस बार के बिहार के चुनाव में व्यक्ति नहीं बल्कि जीतने की क्षमता को टिकट देने का आधार बनाया जाएगा। सर्वे में जिसका भी नाम नहीं आया है उसका टिकट काटा जाएगा, चाहे वह कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो। लगातार 2 सर्वे में खराब प्रदर्शन वाले विधायकों का टिकट कटना लगभग तय है। ऐसे में बताया जा रहा है कि पार्टी इस बार अपने मौजूदा विधायकों के टिकट को बड़े स्तर पर काटने की तैयारी कर रही है।
सूत्रों की मानें तो लगभग 40-45 मौजूदा विधायकों का प्रदर्शन ठीक नहीं है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काटा जा सकता है। साथ ही भाजपा ने यह भी तय किया है कि व्यक्ति नहीं बल्कि जीतने की क्षमता को टिकट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा। भाजपा प्रखंड स्तर पर बैठकें कर रही है, हर सीट पर अपनी ताकत और कमजोरियों का आकलन किया जा रहा है।
इसके साथ विपक्षी दलों और पाला बदलने वाले नेताओं का भी आकलन किया जा रहा है। सीट दर सीट इसी हिसाब से रणनीति बनाई जाएगी और अपने ऐसे नेताओं की पहचान भी की जा रही है, जिनके टिकट नहीं मिलने या अपने मनमाफिक उम्मीदवार न दिए जाने की स्थिति में बगावत करने की आशंकाएं है। भाजपा का लक्ष्य हर हाल में बिहार चुनाव जीतना है।
बिहार चुनाव में जीत एनडीए के लिए इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि महाराष्ट्र की ही तरह बिहार में भी मजबूत विपक्षी गठबंधन है। ऐसे में भाजपा को लगता है कि बिहार चुनाव में एनडीए के हारने की स्थिति में विपक्षी एकता को मजबूती मिल सकती है। साथ ही बिहार चुनाव के नतीजों का असर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।
एनडीए के विपरीत परिणाम से विपक्षी एकता को मजबूती मिल सकती है। भाजपा बिहार से बाहर रह रहे मूलत बिहार के लोगों से संपर्क साधेगी। ऐसे दो करोड़ लोगों से संपर्क की योजना है। ये वे लोग हैं जो या तो बिहार के मतदाता हैं और बाहर रह रहे हैं या फिर बिहार के मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं।
जून महीने से ही प्रवासी बिहारियों से संपर्क करने का अभियान भाजपा शुरू करने जा रही है। दिल्ली में इस रणनीति का भाजपा को चुनावी फायदा मिला था। उल्लेखनीय है कि इस बार जदयू 101 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है। वहीं भाजपा भी 101 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
जबकि बाकी सीटें छोटे सहयोगी दलों लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के बीच बांटी जाएंगी। इस बार, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) के एनडीए में शामिल होने से समीकरण बदले हैं। चर्चा है कि चिराग पासवान की पार्टी 22 से 25 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
इसके अलावा मांझी की पार्टी हम को 5 से 7 और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो 4 से 5 सीटें दी जा सकती हैं। बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 74 सीटें जीती थीं, जबकि जदयू ने 115 सीटों पर लड़कर 43 सीटें हासिल की थीं।
सूत्रों के अनुसार वे सीटें जहां एनडीए लगातार दो बार से हार रहा है, सहयोगी दलों के बीच बदली जा सकती हैं। इस बार सीटों का आवंटन जीतने की संभावना के आधार पर तय किया जाएगा। एनडीए ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए एक संतुलित समीकरण तैयार किया है, जिसमें सभी सहयोगी दलों को उनकी ताकत और प्रभाव के आधार पर हिस्सेदारी दी जाएगी।